राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमानों में दिखाया गया है कि चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र 3.9 फीसदी की जबरदस्त वृद्घि दर्ज करेगा लेकिन यह प्रश्न बना हुआ है कि वास्तव में इससे किसानों को कितना फायदा होगा।
ऐसा इसलिए है कि अर्थव्यवस्था के गैर-कृषि हिस्से में उच्च मुद्रास्फीति के कारण दो वर्ष बाद दोबारा से खेती करना उनके लिए नुकसानदायाक साबित होने लगा है।
कृषि के लिए व्यापार की शर्तों से मोटे तौर पर आशय कृषि फसलों को उगाने में उपयोग किए जाने वाले इनपुटों के लिए भुगतान की गई कीमत और उन फसलों को बिक्री से मिले कीमतों के बीच के अंतर से है।
राष्ट्रीय आय अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में कृषि सकल मूल्यवद्र्घन (जीवीए) में अपस्फीतिकारक 5.2 फीसदी बढ़ेगा जबकि गैर-कृषि जीवीए लगभग दोगुनी दर से 10 फीसदी बढ़ेगा। गैर-कृषि जीवीए में उद्योग और सेवाओं को शामिल किया जाता है।
अपस्फीतिकारक कीमतों में अंतर की दर या मुद्रास्फीति की दर की माप करता है।
व्यापक तौर पर इसका मतलब यह होता है कि चालू वित्त वर्ष में किसान अपने इनपुट और अपने बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य खपत मदों के लिए अधिक कीमत का भुगतान कर रहे हैं जबकि इसके मुकाबले उन्हें कृषि उपज की बिक्री से कम कीमत प्राप्त हो रही है।
वित्त वर्ष 2021 में कृषि में अपस्फीतिकारक 3 फीसदी बढ़ा था जबकि गैर कृषि क्षेत्र में 2.8 फीसदी बढ़ा था। इसी तरह से वित्त वर्ष 2020 में कृषि में अपस्फीतिकारक 8.2 फीसदी बढ़ा था जबकि गैर कृषि जीवीए में 2.4 फीसदी की वृद्घि हुई थी।
अपस्फीतिकारक की गणना पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक होती है और अद्यतन आंकड़े जारी होने पर इसमें बदलाव किया जाता है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल व्यापार के संदर्भ में बड़े बदलाव होने की गुंजाइश बहुत कम है क्योंकि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) उच्च बना हुआ है।च्च्
मुंबई स्थित इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (आईजीआईडीआर) के निदेशक और कुलपति एस महेंद्र देव ने कहा, ‘कृषि में व्यापार के लिए प्रतिकूल शर्तें मूल रूप से दिखाती हैं कि किसान अपनी फसल बेचकर जो कीमत हासिल करते हैं उसके मुकाबले वे डीजल, उर्वरक सहित अपने इनपुट के साथ साथ स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी खपत सेवाओं के लिए अधिक कीमत का भुगतान कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि व्यापार की शर्तें भी उलट गई हैं क्योंकि गैर खाद्य और गैर-ईंधन यानी की प्रमुख मुद्रास्फीति खाद्य मुद्रास्फीति के मुकाबले तेज गति से बढ़ी है।
देव ने कहा कि कृषि से लिए खराब हो रही व्यापार की शर्तों के साथ कम ग्रामीण मजदूरी बड़ी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए शुभ नहीं है क्योंकि इससे ग्रामीण रिकवरी में देरी हो सकती है।
विभिन्न संकेतकों में नजर आ रही तेज आर्थिक वृद्घि के बावजूद ग्रामीण इलाकों में रिकवरी एक चिंता की बात रही है।
अक्टूबर 2021 में दी गई बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 के पहले सात महीनों में ग्रामीण उपभोक्ता मांग स्थिर हो गई है। ग्रामीण इलाकों में तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) की बिक्री अगस्त और सितंबर 2021 में 5 फीसदी से कम बढ़ी है जबकि तब तक दोपहिया वाहनों की बिक्री 2019 के स्तरों से काफी दूर थी।
छोटे शहरों में टेलीविजन की बिक्री घटी और ढाई वर्षों में कृषि ऋण में केवल 19 फीसदी की वृद्घि हुई और वित्त वर्ष 2022 में मनरेगा के तहत काम की मांग के मुताबिक श्रमिकों की आपूर्ति बहुत अधिक रही।