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सोया खली निर्यातकों के चेहरे खिले

Last Updated- December 10, 2022 | 5:58 PM IST

मंदी के इस दौर में भी सोयाबीन की खली के निर्यातकों के चेहरे पर मुस्कुराहट है। इसकी कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद  भी निर्यात मांग में कोई कमी नहीं आई है।
सोयाबीन की खली का निर्यात गत चार महीनों में (अक्टूबर, 2008 -जनवरी, 2009) 3000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। सोया की खली की निर्यात मांग में हो रही लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए निर्यातक पिछले साल की तरह ही इसके निर्यात की उम्मीद कर रहे हैं।
निर्यातक कहते हैं कि पिछले साल (वर्ष 2007) के मुकाबले वर्ष 2008 के नवंबर व दिसंबर महीनों में सोया की खली के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गयी। गत नवंबर माह में 6,63776 टन का निर्यात किया गया तो दिसंबर में यह निर्यात 6,65304 टन का रहा।
वर्ष 2007 के नवंबर व दिसंबर महीनों में क्रमश: 5,31268 व 5,51382 टन का निर्यात किया गया। जनवरी, 2009 में पिछले साल जनवरी माह के मुकाबले निर्यात में जरूर कमी आयी है। इस साल जनवरी में 5,55,734 टन सोया की खली का निर्यात किया गया जबकि पिछले साल जनवरी के दौरान यह निर्यात 7,24,526 टन के स्तर पर था।
हालांकि निर्यातकों का कहना है कि आगामी महीनों में इस कमी की भरपाई हो जाएगी। फरवरी के दौरान जनवरी के मुकाबले तेजी देखी जा रही है।
निर्यातक प्रकाश आर रूइया ने मुंबई से बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘निर्यात ऐसा ही चलता रहा तो पिछले साल के स्तर को हम छू लेंगे। इन दिनों चल रहे निर्यात की गति पिछले साल की तरह ही है।’
निर्यातक कहते हैं कि 3000 करोड़ रुपये का निर्यात हो गया है और 4000 करोड़ रुपये के निर्यात के लिए अभी आठ माह बचे हैं।  इन दिनों दक्षिण पूर्व व मध्य पूर्व के देशों में मुख्य रूप से सोया की खली का निर्यात किया जा रहा है।
हालांकि इन देशों में दक्षिण अमेरिका से भी सोया की खली की आपूर्ति की जाती है। लेकिन इन दिनों वहां से आपूर्ति कम होने के कारण भारतीय की खली की मांग बढ़ रही है। साथ ही पेराई का मौसम होने के कारण आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं हो रही है।
निर्यातकों ने बताया कि सोया की खली की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी का निर्यात पर कोई असर नहीं है। फिलहाल की खली की कीमत 20,600-20,800 रुपये प्रति टन की कीमत चल रही है जबकि गत दिसंबर माह में यह कीमत 13,800-13,900 रुपये प्रति टन थी। जनवरी मध्य तक यह कीमत 18,500-18,700 रुपये प्रति टन के स्तर पर पहुंच गयी।

First Published - February 26, 2009 | 12:15 PM IST

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