दूध पाउडर के निर्यात की उम्मीद बढ़ी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 11:15 PM IST

घरेलू डेयरी उद्योग, दूध के पाउडर के निर्यात के क्षेत्र में नई संभावनाएं देख रहा है। पांच महीनों के अंतराल के बाद से अंतरराष्ट्रीय कीमतों में दो बार बढ़ोतरी हुई है।
न्यूजीलैंड में दूध पाउडर (डब्ल्यूएमपी) की वायदा कीमतों में 19 प्रतिशत का सुधार दर्ज किया गया है। पिछले साल के नवंबर माह के बाद यह पहली महत्वपूर्ण बढ़ोतरी है।
भारतीय उत्पादकों से 6 महीनों के अंतराल के बाद जानकारियां मांगी जा रही हैं। चेन्नई स्थित हटसन एग्रो प्रोडक्ट्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आरसी चंद्रमोगन ने कहा कि इससे हमें 30,000 से 40,000 टन अतिरिक्त उत्पादन के निर्यात में मदद मिलेगी।
बहरहाल चंद्रमोगन ने कहा कि निर्यात के लिहाज से देखें तो घरेलू कीमतें प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू दूध पाउडर की कीमतें अभी भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में 5 रुपये प्रति किलोग्राम ज्यादा हैं।
लेकिन वैश्विक कीमतों में सुधार आना एक सकारात्मक संकेत है और उम्मीद की जा रही है कि निर्यात में बढ़ोतरी होगी। इस समय दूध पाउडर की घरेलू कीमतें 115-120 रुपये प्रति किलो के बीच हैं और गरमी के मौसम में इसकी कीमतों में उछाल की पूरी संभावना है।
विभिन्न डेयरी उत्पादों की कीमतें 14 माह पहले के उच्च स्तर से गिरनी शुरू हुईं। वैश्विक मंदी का असर साफ दिखा और मांग में बहुत कमी आ गई। अमेरिका और यूरोप के उत्पाद वैश्विक बाजारों में आ गए और इसके साथ ही भारत के निर्यात पर भी बुरा प्रभाव पड़ा।
चंद्रमोगन ने कहा कहा कि मांग और आपूर्ति के बीच उभरे असंतुलन के चलते अमेरिका और न्यूजीलैंड जैसे बड़े उत्पादक देशों ने छह महीने पहले पशुओं को मारना शुरू कर दिया था। उसका प्रभाव अब साफ नजर आ रहा है।
बहरहाल डेयरी क्षेत्र में काम करने वाले उम्मीद कर रहे हैं कि घरेलू बाजार में भी इसकी कमी रहेगी, जिसके चलते बड़े पैमाने पर निर्यात नहीं किया जा सकता। स्टर्लिंग एग्रो इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक कुलदीप सालुजा का कहना है कि गरमी के दिनों में मांग ज्यादा होने की वजह से दूध की आपूर्ति कम हो जाती है। इस समय घरेलू मांग को पूरा करना भी कठिन हो जाएगा।
साथ ही कीमतों में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है। सरकार ने अप्रैल 2008 में डयूटी एनटाइटलमेंट पासबुक (डीईपीबी), विशेष कृषि और ग्राम उद्योग योजना और फोकस मार्केट स्कीम जैसी योजनाओं से निर्यात पर मिलने वाले फायदे को रोक दिया था।  इसका प्रमुख उद्देश्य घरेलू आपूर्ति में सुधार करना और कीमतों पर लगाम लगाना था।

First Published : April 4, 2009 | 5:43 PM IST