लेख

प्राइवेंट बैंकों के मुकाबले सरकारी बैंकों का प्रदर्शन फिर बेहतर, लेकिन चुनौतियां बरकरार

पंजाब नैशनल बैंक को छोड़कर, जून तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के हर बैंक ने सालाना आधार पर शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी दर्ज की है। बता रहे हैं तमाल बंद्योपाध्याय

Published by
तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- September 19, 2025 | 11:28 PM IST

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने समकक्ष निजी बैंकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखा है। मार्च तिमाही में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद, इन बैंकों ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में फिर से अपनी चमक बिखेरी है। पंजाब नैशनल बैंक को छोड़कर, जून तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के हर बैंक ने सालाना आधार पर शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी दर्ज की है और यह बढ़ोतरी 75.57 फीसदी (इंडियन ओवरसीज बैंक) से 1.87 फीसदी (बैंक ऑफ बड़ौदा) के बीच देखी गई।

इसके विपरीत, कम से कम 8 निजी बैंकों का शुद्ध लाभ घट गया है। बड़े निजी बैंकों में, ऐक्सिस बैंक का शुद्ध लाभ 3.79 फीसदी कम हुआ जबकि इंडसइंड बैंक ने शुद्ध लाभ में 68.21 फीसदी की गिरावट दर्ज की। निजी बैंकों के कुल शुद्ध लाभ में लगभग 3 फीसदी की कमी आई जबकि सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ 10.62 फीसदी तक बढ़ा।

पूर्ण आंकड़ों के संदर्भ में देखें तो भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 19,160 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ के साथ आगे रहा। इसके बाद एचडीएफसी बैंक (18,155 करोड़ रुपये) और आईसीआईसीआई बैंक (12,768 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ दर्ज करने वाला एकमात्र अन्य बैंक ऐक्सिस बैंक (6,035 करोड़ रुपये) है। वहीं, दूसरी ओर केवल एक सरकारी बैंक (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) के परिचालन लाभ में कमी आई।

निजी बैंकों के समूह का शुद्ध लाभ जून तिमाही में कम हो गया, हालांकि उनके परिचालन लाभ में शानदार बढ़ोतरी देखी गई और यह सरकारी बैंक की तुलना में अधिक था। एचडीएफसी बैंक, 35,734 करोड़ रुपये के परिचालन लाभ के साथ सबसे आगे रहा। उसके बाद एसबीआई (30,544 करोड़ रुपये) का स्थान था। दो अन्य निजी बैंकों ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का परिचालन लाभ दर्ज किया जिनमें आईसीआईसीआई बैंक (18,746 करोड़ रुपये) और ऐक्सिस बैंक (11,515 करोड़ रुपये) शामिल हैं।

सरकारी बैंकों की तुलना में अधिक परिचालन लाभ दर्ज करने के बावजूद, निजी बैंक शुद्ध लाभ के मामले में पीछे रह गए क्योंकि उन्होंने सरकारी बैंकों की तुलना में कहीं अधिक प्रावधान किए हैं। जून तिमाही में निजी बैंकों का कुल प्रावधान 9,844 करोड़ रुपये से बढ़कर 27,661 करोड़ रुपये हो गया। इसके उलट, सरकारी बैंकों का प्रावधान 17,004 करोड़ रुपये से घटकर 15,918 करोड़ रुपये रह गया।

आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक लिमिटेड, करूर वैश्य बैंक लिमिटेड और तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक लिमिटेड को छोड़कर, बाकी सभी निजी बैंकों ने ऋण संपत्तियों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जून तिमाही में अपने प्रावधान बढ़ाए। इसके विपरीत, सात सरकारी बैंकों ने अपने प्रावधानों में कटौती की।

सबसे अधिक प्रावधान एचडीएफसी बैंक द्वारा किया गया (14,442 करोड़ रुपये) जो सभी निजी बैंकों के प्रावधान का लगभग आधा और पूरे उद्योग के प्रावधान का लगभग एक-तिहाई है। यह पिछले साल की तिमाही में किए गए 2,602 करोड़ रुपये और पिछली तिमाही में 3,193 करोड़ रुपये के प्रावधान के मुकाबले ​काफी ज्यादा है।

भले ही कुल ऋणों के प्रतिशत के रूप में एचडीएफसी बैंक की शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए या फंसे कर्ज) 1 फीसदी से कम रहीं लेकिन वे जून 2024 के 0.43 फीसदी से बढ़कर जून 2025 में 0.47 फीसदी हो गईं।

छह बैंकों को छोड़कर, जून तिमाही में सभी सूचीबद्ध बैंकों के शुद्ध एनपीए 1 फीसदी से कम रहे हैं जिनमें सभी सरकारी बैंक भी शामिल हैं और अधिकांश बैंकों ने इसमें गिरावट का रुझान दिखाया है।

एचडीएफसी बैंक के अलावा, इस सूची में आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड, येस बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक लिमिटेड और अन्य शामिल हैं। करीब एक फीसदी से अधिक शुद्ध एनपीए वाले निजी बैंकों में इंडसइंड बैंक और बंधन बैंक लिमिटेड शामिल हैं। आईडीबीआई बैंक का शुद्ध एनपीए सबसे कम (0.21 फीसदी) है। वहीं सरकारी बैंकों में, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन बैंक का एनपीए सबसे कम (0.18 फीसदी) है।

बंधन बैंक का सकल एनपीए सबसे अधिक (4.96 फीसदी) है और इसके बाद इंडसइंड बैंक (3.64 फीसदी) का स्थान है। आठ अन्य बैंकों के सकल एनपीए, कम से कम 3 फीसदी हैं जिनमें पांच सरकारी बैंक और तीन निजी बैंक शामिल हैं। करूर वैश्य बैंक लिमिटेड एकमात्र ऐसा बैंक है जिसका सकल एनपीए 1 फीसदी से कम (0.66 फीसदी) है।

अब हम बैंकिंग उद्योग की सेहत का आकलन करने के लिए कुछ अन्य मापदंडों का जायजा लेते हैं। सूचीबद्ध सार्वभौमिक बैंकों की औसत जमा वृद्धि लगभग 11 फीसदी है और यह ऋण वृद्धि 10 फीसदी से थोड़ी अधिक है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक जमाओं में 26.4 फीसदी वृद्धि और ऋण में 21 फीसदी वृद्धि के साथ सबसे आगे है। सीएसबी बैंक लिमिटेड ने अपनी जमा राशि को 20 फीसदी से थोड़ा अधिक और ऋण को 31.3 फीसदी बढ़ाया है लेकिन इसका आधार बहुत कम था।

बड़े बैंकों में, एसबीआई की जमा राशि सालाना आधार पर 11.7 फीसदी बढ़ी है, लेकिन तिमाही आधार पर वृद्धि सिर्फ 1.7 फीसदी रही है। वहीं एचडीएफसी बैंक ने सालाना आधार पर ऋण में 6.7 फीसदी की वृद्धि दिखाई है।

कई बैंकों ने जून 2024 की तुलना में जून 2025 तिमाही में ऋण में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की है वहीं, कम से कम 9 बैंकों ने अपने ऋण खाते में तिमाही आधार पर 5 फीसदी से 1 फीसदी के बीच कमी देखी है।

आखिरकार हम इस बात का जायजा लेते हैं कि बैंकों ने शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) और चालू एवं बचत खाता (कासा) जैसे दो अहम मापदंडों के लिहाज से कैसा प्रदर्शन किया। कुछ अपवादों को छोड़कर, जून की तिमाही में सालाना और तिमाही आधार पर अधिकांश बैंकों के एनआईएम और कासा दोनों में कमी आई। यह रुझान कुछ तिमाहियों से बरकरार है।

एसबीआई का कासा सालाना आधार पर 40.7 फीसदी से घटकर 39.36 फीसदी हो गया। इस अवधि के दौरान, इसका एनआईएम 3.22 फीसदी से कम होकर 2.9 फीसदी हो गया। वहीं एचडीएफसी बैंक का कासा 36 फीसदी से घटकर 34 फीसदी हो गया और एनआईएम 3.47 फीसदी से घटकर 3.35 फीसदी हो गया।

निश्चित रूप से एनआईएम पूरी कहानी को बयां नहीं करता है। असुरक्षित ऋणों पर ब्याज दरें अधिक होती हैं और इसके कारण एनआईएम अधिक होता है लेकिन अगर ये फंसे ऋण में तब्दील हो जाते हैं तो इनकी रिकवरी बैंकों के लिए मुश्किल हो जाती है।

अंत में यह कहा जा सकता है कि बैंकिंग क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन जारी है लेकिन इसमें परिसंपत्ति और देनदारी के मोर्चे पर चुनौतियां भी हैं। जमाओं के लिए प्रतिस्पर्द्धा बढ़ रही है जबकि ऋण के मांग में सुस्ती है। हालांकि अच्छी बात यह है कि बैंक मौजूदा चुनौतियों के हिसाब से ही अपनी राह तय कर रहे हैं।


(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के वरिष्ठ सलाहकार हैं)

First Published : September 18, 2025 | 10:48 PM IST