खान का मसला न सुलझने से सरकारी इस्पात कंपनियों की विस्तार योजनाएं अधर में

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 7:46 AM IST

इस्पात मंत्रालय ने चेतावनी दी है और कहा है कि झारखंड स्थित चिड़िया खान के आवंटन का मसला यदि जल्द न सुलझाया गया तो सरकारी इस्पात कंपनियों की सारी विस्तार योजनाएं यूं ही अधर में लटक जाएगी।


खान की उपयोगिता देखते हुए केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने इसे सरकारी इस्पात कंपनियों की जीवनरेखा बताया है। उनके मुताबिक, इस विवाद का जल्द समाधान होना चाहिए।

मालूम हो कि इस खान पर मालिकाना हक को लेकर केंद्रीय खान मंत्रालय और झारखंड सरकार के बीच अभी कानूनी लड़ाई चल रही है। 

प्रसाद ने कहा कि हमारी सारी भावी योजनाएं इस खान से लौह अयस्क की आपूर्ति पर निर्भर करती है। देश की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी भारतीय इस्पात निगम लिमिटेड को 2010-11 तक 2.62 करोड़ टन का उत्पादन करने के लिए जहां 4.2 करोड़ टन लौह अयस्क की जरूरत पड़ेगी।

दूसरी ओर, यदि इस कंपनी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 6 करोड़ टन तक पहुंचाया गया तो इसके लिए करीब 10 करोड़ टन अयस्क चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, लक्ष्य रखा गया है कि 2020 में जब देश में इस्पात का कुल उत्पादन 28 करोड़ टन हो तब उसमें सेल की हिस्सेदारी 20 फीसदी तक पहुंचाया जाए।

हालांकि सेल को उम्मीद है कि झारखंड सरकार चिड़िया खदान के पट्टे का नवीकरण कर देगी। केंद्रीय इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले महीने ही कहा था कि यदि चिड़िया खान से सेल को लौह अयस्क का आवंटन हुआ तो बोकारो इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के आकार जितना चार संयंत्र स्थापित हो जाएंगे।

First Published : December 7, 2008 | 11:48 PM IST