facebookmetapixel
Silver Price: चांद पर चांदी के भाव! औद्योगिक मांग ने बदली तस्वीर, अब क्या करें निवेशक?1 साल में 27% की बढ़ोतरी! बढ़ती मेडिकल लागत के बीच हेल्थ कवर को लेकर लोगों की सोच कैसे बदल रही है?2026 में डेट फंड में निवेश कैसे करें? ज्यादा रिटर्न के लालच से बचें, शॉर्ट और मीडियम-ड्यूरेशन फंड्स पर रखें फोकसलंदन पार्टी वीडियो पर हंगामा, ललित मोदी ने भारत सरकार से मांगी माफीटायर स्टॉक पर Motilal Oswal बुलिश, कहा– वैल्यूएशन सपोर्टिव; ₹600 तक जाएगा शेयर!2025 में डर और लालच ने निवेशकों को क्या सिखाया और 2026 में इसमें क्या बदलाव कर सकते हैं?Aravalli Hills Row: सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स फैसले को रोका, नए विशेषज्ञ पैनल से समीक्षा का आदेशNew Year 2026: 8वें वेतन आयोग से पैन-आधार तक, नए साल में बदलने वाले हैं ये बड़े नियमUnnao rape case: कुलदीप सेंगर की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, जेल में ही रहेंगे50% रिटर्न देगा ये IT Stock! ब्रोकरेज बोले – खरीद लो, अमेरिकी कंपनी की खरीद से बदलेगा गेम

खफा-खफा सा है देसी स्टील उद्योग

Last Updated- December 05, 2022 | 4:53 PM IST

स्टील की कीमतें निर्धारित करने के लिए नियामक के गठन के प्रस्ताव से खफा होकर इंडियन स्टील अलायंस (आईएसए) ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।


अलायंस ने कहा है कि यह कदम स्टील उद्योग के विकास पर न सिर्फ विपरीत असर डालेगा बल्कि इससे स्टील उद्योग की बढ़ोतरी दर भी प्रभावित होगी। गौरतलब है कि इंडियन स्टील अलायंस घरेलू स्टील उत्पादकों का मुख्य संगठन है।


आईएसए के प्रेजिडेंट मोसा राजा ने बताया कि कीमतों पर नियंत्रण के लिए नियामक के गठन से स्टील इंडस्ट्री दोराहे पर खड़ी हो जाएगी। नियामक केगठन के कारण लागत मूल्य में बढ़ोतरी से मार्जिन पर अच्छा खासा असर पड़ेगा। राजा ने कहा कि अप्रैल 2007 में स्पॉट आयरन की कीमत 70 डॉलर प्रति टन के स्तर पर थी, जो मार्च 2008 में बढ़कर 150 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है।


उन्होंने कहा कि सरकारी कंपनी एनएमडीसी ने कॉन्ट्रैक्ट कीमत में साल के मध्य तक 50 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। इस दौरान स्क्रैप की कीमत बढ़कर 550 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गई जबकि कोकिंग कोल 107 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 320 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गई है और इसमें रोजाना बढ़ोतरी हो रही है। चीन से आने वाला कोक 523 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गया है।


राजा ने बताया कि सरकारी नियंत्रण वाली कमोडिटी गैस की कीमत औसतन 4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़कर 10 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के स्तर पर आ गई है। इस बढ़ोतरी के चलते स्टील की उत्पादन लागत में करीब 330 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हो गई है। उन्होंने कहा कि कीमत नियंत्रण का लाभ उपभोक्ता तक नहीं पहुंच पाएगा बल्कि इसका लाभ विचौलिये और निरीक्षण करने वाली संस्था ही उठाएंगे।


राजा का यह पत्र रामविलास पासवान द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे उस पत्र का जवाब माना जा रहा है जिसमें स्टील मंत्री ने कीमत नियंत्रण के लिए कई कदम उठाने का जिक्र किया था। पासवान ने टीएमटी बार, सेमी और हॉट रोल्ड उत्पाद पर 10 फीसदी का निर्यात कर लगाने की सिफारिश की है। मंत्री ने कहा है कि बाकी दूसरी सभी उत्पादों पर दो फीसदी का निर्यात कर लगाया जाए।


पासवान ने कहा है कि स्टील पर आयात कर समाप्त कर दिया जाए और लौह अयस्क के निर्यात पर 15 फीसदी की डयूटी लगाई जाए। सूत्रों ने बताया है कि एक अलग नोट में पासवान ने नियामक के गठन और इसके कामकाज के तरीके के बारे में लिखा है। पासवान ने पहले कहा था कि प्रधानमंत्री ने बढ़ती स्टील कीमत पर चिंता जताई है और कहा है कि इसमें हो रही बढ़ोतरी लागत मूल्य में हुए इजाफे के अनुपात में नहीं है।


स्टील की कीमतों पर ये बहस जनवरी में इसकी कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बाद शुरू हो गई थी। जनवरी महीने में स्टील उत्पादन करने वाली कंपनियों ने 600-900 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की थी जबकि फरवरी में 2500 रुपये प्रति टन की। हालांकि स्टील मंत्री की अपील पर कंपनियों ने फरवरी महीने में कीमतों में आंशिक कटौती की थी। मार्च महीने में इन उत्पादकों ने औसतन 3000-5500 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की है।

First Published - March 22, 2008 | 12:25 AM IST

संबंधित पोस्ट