facebookmetapixel
ब्रिटेन के PM कीर स्टार्मर 8-9 अक्टूबर को भारत दौरे पर आएंगे, बढ़ेगी भारत-UK रणनीतिक साझेदारीRenault लागत कम करने के लिए छंटनी करने की तैयारी में, 3,000 कर्मचारियों की नौकरी पर खतराExplainer: कौन हैं सनाए ताकाइची, जो जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की राह पर हैहर साल मिलेंगे ₹15,000! इस राज्य सरकार का ऑटो रिक्शा, कैब और मैक्सी कैब ड्राइवरों का बड़ा तोहाफाIPO Calendar: मुख्य बोर्ड और SME दोनों में निवेशकों को मिलेगा मौका, जानें लिस्टिंग और आईपीओ का पूरा शेड्यूलपोस्ट ऑफिस की यह स्कीम 5 साल में बना देगी आपको लखपति… बस हर महीने करें 25 हजार का निवेशसरकार ने शुरू की ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ मुहिम, ₹1.84 लाख करोड़ उनके हकदारों तक पहुंचेगाWeWork India IPO: अप्लाई करें या इंतजार करें, देखें पूरी डिटेल्स और फायदे-नुकसानक्या शेयर बाजार में निवेश अब जोखिम भरा है? ‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक ने निवेशकों को क्यों चेतायाCorporate Actions: निवेशकों की बल्ले-बल्ले! अगले हफ्ते मार्केट में स्प्लिट-बोनस-डिविडेंड का तगड़ा कॉम्बिनेशन

घरेलू मिलों में घटेगी कपास की खपत

Last Updated- December 10, 2022 | 12:02 AM IST

वैश्विक मंदी के चलते क्रय शक्ति में आई कमी की वजह से इस साल कपास की खपत टेक्सटाइल उद्योग में कम रहने का अनुमान है।
गुजरात के कपास कारोबारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए अनुमानों के मुताबिक घरेलू टेक्सटाइल मिलों में साल 2008-09 में खपत 1.85 करोड़ से 2 करोड़ गांठ तक हो सकती है।
घरेलू टेक्सटाइल मिलों ने 2007-08 के दौरान 2.20 से 2.41 करोड़ गांठ कपास की खपत की थी। बहरहाल 2008-09 में खपत में 35-40 करोड़ गांठ की कमी का अनुमान लगाया जा रहा है।
अहमदाबाद की प्रमुख कपास ट्रेडिंग फर्म अरुण कुमार ऐंड कंपनी के मालिक अरुण दलाल ने कहा, ‘इस सत्र के दौरान मिलों ने 1.10 करोड़ गांठ कपास की खरीदारी की है।’ इस सत्र के दौरान कपास की कीमतें बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य से प्रभावित रहीं। इसके साथ ही वैश्विक आर्थिक मंदी का भी असर रहा और इसने घरेलू टेक्सटाइल उद्योग पर असर डाला। 
दलाल ने कहा, ‘मिलों की क्रय शक्ति में कमी आई है। इसका सीधा असर मांग पर पड़ा है। इसके साथ ही गारमेंट्स और टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।’ दलाल ने कहा कि कपास की स्थिर कीमतों से घरेलू मिलों का मुनाफा कम हुआ है, वहीं मंदी ने भी वैश्विक मांग पर विपरीत असर डाला है।
दक्षिण गुजरात कॉटन डीलर्स एसोसिएशन (एसजीसीडीए) के अध्यक्ष किशोर सिंह ने कहा, ‘घरेलू मिलों में कपास की खपत 2 करोड़ के स्तर पर पहुंच सकती है जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान 2.14 करोड़ थी।’ उनके मुताबिक वैश्विक उथल पुथल और कपास की कीमतों में हुई बढ़ोतरी, तमिलनाडु में बिजली की कटौती ने देश में कपास की खपत कम करने में अहम भूमिका निभाई।
देश में होने वाली कपास की कुल खपत का 50 प्रतिशत उपभोग तमिलनाडु में होता है, जहां सैकड़ों की संख्या में टेक्सटाइल मिलें हैं। तमिलनाडु में मिलों को बिजली की कमी के संकट का सामना करना पड़ा जिसके चलते कपास की खपत पर बुरा प्रभाव पड़ा।
अरावी डेनिम्स ऐंड एक्सपोर्ट लिमिटेड के आशीष शाह ने कहा, ‘हमारे यहां रोज के कपास की खपत में 100 गांठ की गिरावट आई है और यह खपत प्रतिदिन 400 गांठ से घटकर 300 गांठ रह गई है। इसकी वजह से उत्पादन में 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।’
उद्योग जगत से मिल रहे आंकड़ों के मुताबिक अब तक बाजार में 1.96 करोड़ गांठें बाजार में आ चुकी हैं, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2.89 करोड़ गांठें आई थीं। अरुण दलाल ने कहा कि कुल आवक में से कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने 62.50 लाख गांठ कपास की खरीद की है। देश भर में सीसीआई द्वारा कुल कपास की खरीद में से 51 लाख गांठों की बिक्री नहीं हो सकी है।

First Published - February 5, 2009 | 2:58 PM IST

संबंधित पोस्ट