पिछले एक सप्ताह से डॉलर की मजबूती और अन्य कारकों की वजह से आधार धातुओं पर असर पड़ सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक चीन के तांबा कारोबारी को भी इन औद्योगिक जिंसों के लिए ताजा निवेश के लिए कोष एकत्रित करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। एक तो वैसे ही चीन के पेइचिंग ओलंपिक को लेकर इन तांबा कारोबार को बंद कर दिया गया था।
रेलिगेयर इंटरप्राइजेज के जयंत मांगलिक ने कहा कि अगले पंद्रह दिनों में तांबा में 3 से 4 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। हालांकि उपभोक्ताओं की मांग अगर बढ़ती है, तो छोटे या मध्यम अवधि में इसमें सुधार की गुंजाइश है।
तांबा अपने लागत मूल्य 3000 डॉलर से ढ़ाई से तीन गुना ज्यादा कीमत पर डोल रहा है। इस लिहाज से अगर लंबी अवधि के लिए देखा जाए, तो तांबा का भविष्य धुंधला दिख रहा है। मांगलिक कहते हैं कि लंबी अवधि में तांबे की लागत 3000-5000 डॉलर हो सकती है।
विश्व की प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर में 10 प्रतिशत का सुधार हुआ है। एक विश्लेषक बताते हैं कि इस वजह से डॉलर के जरिये तांबा में निवेश का रास्ता बनता है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अल्युमिनियम और प्लास्टिक के बाजार में बढ़ोतरी से तांबे का इस्तेमाल सीमित हुआ है। इन दोनों सेक्टर में करीब 30 प्रतिशत तांबे की खपत होती है।
ऐसे में भविष्य में तांबे की कीमतों पर असर पड़ना तय है और इसका बाजार प्रभावित हो सकता है। लेकिन आश्चर्यजनक तौर पर लागत में कमी और चीन, मैक्सिको और चिली में इसकी मांग में आ रही कमी केबावजूद लंदन धातु विनिमय द्वारा पंजीकृत गोदामों में इसकी मांग बढ़ रही है। पिछले सप्ताह 1,73,375 टन के उत्पादन के मुकाबले 3.88 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
इसके बावजूद दुनिया का सबसे बड़ा तांबे का विक्रेता देश चिली में पिछले माह के मुकाबले 5.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई। मेक्सिको में भी तांबे के उत्पादन में 34 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। लिस्बन की अंतरराष्ट्रीय तांबा अध्ययन समूह (आईसीएसजी) ने पूर्वानुमान लगाया है कि इस साल के पहले पांच महीने में तांबे की खपत में 0.2 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
पिछले साल के मई महीने के 76 लाख 90 हजार टन तांबे की खपत के मुकाबले इस साल समान अवधि में इसमें मामूली बढ़ोतरी हुई और यह 77 लाख 10 हजार टन रहा। पिछले सप्ताह के मुकाबले तांबे में मामूली 0.88 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 7648 डॉलर पर बंद हुआ, जबकि अल्युमिनियम और निकेल क्रमश: 2705 और 20350 डॉलर पर बंद हुआ।
पिछले कुछ सप्ताहों में धातुओं का कारोबार नीचे गिरता रहा, लेकिन उपभोक्ताओं की मदद से एक बार फिर यह ऊपर चढ़ने लगा है। इसलिए शीशा, जिसका इस्तेमाल बैटरी में किया जाता है और जिंक, जो इस्पात गल्वनीकरण में प्रयुक्त होता है, में क्रमश: 13.8 और 4 फीसदी का इजाफा देखा गया। इसके विपरीत स्वतंत्र धातुओं में पिछले सप्ताह 3.38 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
एंजेल ब्रोकिंग के एक विश्लेषक के मुताबिक चीन से शीशे की ज्यादा मांग के कारण इसका बाजार आने वाले महीने में मजबूत रहेगा और बैटरियों में इसके इस्तेमाल होने के कारण भी इसकी मजबूती बरकरार रहेगी। उम्मीद की जा रही है कि पेइचिंग ओलंपिक के कारण धराशायी हो चुका तांबे का कारोबार मांग बढ़ने से संभल सकता है।