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केंद्र का गेहूं निर्यात रोकने से इनकार

Last Updated- December 11, 2022 | 7:17 PM IST

भारत का गेहूं उत्पादन 2022-23 में करीब 5.7 प्रतिशत कम रहने की संभावना है। अप्रैल में तापमान में बढ़ोतरी के बाद पहले के 1113.2 लाख टन उत्पादन के अनुमान की तुलना में अब 1050 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है। वहीं सरकारी खरीद आधी घटकर 195 लाख टन रह गई है। इसके बावजूद सरकार की निर्यात पर रोक लगाने की योजना नहीं है, क्योंकि सरकार का पहले का स्टॉक सभी जरूरतें पूरी करने के बाद पर्याप्त है।
गेहूं के उत्पादन और निर्यात को लेकर कुछ अहम मसलों पर देश के आधिकारिक रुख का पहली बार ब्योरा देते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने आज कहा कि कृषि मंत्रालय ने 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन का अनुमान घटाकर 1,050 लाख टन कर दिया है, जो पहले 1,113 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था।
उन्होंने कहा, ‘हम अभी भी अधिशेष की स्थिति में हैं।’ पांडेय ने कहा, ‘सरकार की गेहूं खरीद घट गई है। लेकिन चावल की खरीद और उपलब्धता राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है।’ केंद्र के अनुमान के मुताबिक उत्पादन और खरीद में गिरावट के बावजूद वित्त वर्ष 23 में गेहूं का क्लोजिंग स्टॉक करीब 80 लाख टन रहने की संभावना है, जो बफर स्टॉक की 75 लाख टन जरूरत की तुलना में ज्यादा है।
2020-21 फसल वर्ष (जुलाई से जून) में भारत का गेहूं उत्पादन 1,095.9 लाख टन था।
सचिव ने गेहूं के निर्यात पर किसी भी तरह की रोक लगाए जाने की संभावना से भी इनकार किया है, क्योंकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा गेहूं की कीमत मिल रही है। पांडेय ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमें निर्यात पर किसी नियंत्रण की जरूरत नहीं नजर आ रही है। गेहूं का निर्यात जारी है और सरकार निर्यातकों को सहूलियत दे रही है।’
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत नए निर्यात बाजारों जैसे मिस्र, तुर्की और कुछ यूरोपीय यूनियन के देशों ने भारतीय गेहूं के लिए बाजार खोले हैं ।

First Published - May 5, 2022 | 1:03 AM IST

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