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सरकारी फैसले से बाजार में निराशा का माहौल

Last Updated- December 10, 2022 | 8:42 PM IST

कच्चे सोयबीन तेल के आयात को शुल्क मुक्त करने की खबर के साथ ही गुरुवार को सोयाबीन तेल के बाजार में 2-2.50 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट दर्ज की गयी।
पहले से ही सुस्त चल रहे सोया तेल बाजार के लिए सरकार का यह फैसला एक और झटका माना जा रहा है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने कहा है कि इस फैसले से उनका बाजार और नीचे चला जाएगा।
तेल कारोबारियों का कहना है कि इस फैसले से सरसों व सरसों तेल बाजार में भी गिरावट आएगी। सोयाबीन के कच्चे तेल के आयात पर 20 फीसदी का शुल्क था जबकि सोयाबीन रिफाइन तेल पर मात्र 7.5 फीसदी का। चार माह पहले सरकार ने सोयाबीन के कच्चे तेल पर 20 फीसदी का शुल्क लगाया था। 
सोपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने इंदौर से बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पाम तेल के आयात के कारण सोयाबीन तेल का बाजार पहले से ही ठंडा पड़ा है। जनवरी माह में सोयाबीन तेल की औसत कीमत 473 रुपये प्रति 10 किलोग्राम थी जो कि घटकर मार्च में 460 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के स्तर पर आ गयी।
गुरुवार को आयात शुल्क पूर्ण रूप से हटाने की खबर के साथ ही सोयाबीन तेल की कीमत 440-438 रुपये प्रति 10 किलोग्राम हो गयी। माना जा रहा है कि अब कच्चे सोयाबीन तेल के आयात में भी 5-10 फीसदी तक की तेजी आएगी।
तेल कारोबारियों ने बताया कि पाम के साथ सोया तेल के आयात में बढ़ोतरी से सरसों तेल के बाजार पर फर्क पड़ना लाजिमी है। क्योंकि पाम व सोया दोनों ही तेल की कीमत सरसों तेल से कम है। ऐसे में सरसों उत्पादकों को भी नुकसान होने की आशंका है।
सरसों की बिक्री पहले से ही अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य 1830 रुपये प्रति क्विंटल से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट के साथ हो रही है।  सोपा के पदाधिकारियों के मुताबिक पिछले दो महीनों से सोया मिल का काम पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी रह गया है।
और अब तो यह 25 फीसदी ही रह जाएगा। दूसरी तरफ सोया किसानों को भी सरकार के इस फैसले झटका लग सकता है। सोयाबीन की कीमत में पिछले साल के मुकाबले करीब 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी है। वर्तमान में सोयाबीन की कीमत 2350 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। 

First Published - March 20, 2009 | 2:10 PM IST

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