Convocation ceremony of the Indian Veterinary Research Institute (IVRI) at Bareilly, Uttar Pradesh/ PIB
प्रौद्योगिकी से पशु चिकित्सा और देखभाल में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। जीनोम एडिटिंग, भ्रूण स्थानांतरण तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
सोमवार को उत्तर प्रदेश के बरेली में भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंची राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि मनुष्य का वनों और वन्य जीवों के साथ सह-अस्तित्व का रिश्ता है। उन्होंने कहा कि कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन प्रजातियों का संरक्षण जैव विविधता और पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। कोरोना महामारी ने मानव जाति को चेतावनी दी है कि उपभोग पर आधारित संस्कृति न केवल मानव जाति को बल्कि अन्य जीवों और पर्यावरण को भी अकल्पनीय नुकसान पहुंचा सकती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया भर में ‘वन हेल्थ’ की अवधारणा को महत्व मिल रहा है। मनुष्य, पालतू और जंगली जानवर, वनस्पतियां और व्यापक पर्यावरण सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान के रूप में आईवीआरआई इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, खासकर जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण में। उन्होंने आईवीआरआई जैसे संस्थानों से पशुओं के लिए स्वदेशी और कम लागत वाले उपचार और पोषण खोजने की अपील की।
दीक्षांत समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश के प्रत्येक जिले में वैज्ञानिकों की 2,000 टीमें भेजी जाएंगी। वह स्थानीय किसानों को आधुनिक कृषि, उन्नत नस्लों, तकनीकी खेती और बागवानी के विषय में जानकारी देंगी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अब सिर्फ लैब में सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि खेत और खलिहान तक जाकर किसानों से जुड़ेंगे। उन्होंने बताया कि देश में 300 से अधिक अभिनव कृषि प्रयोग किसानों ने खुद किए हैं, जिनमें वैज्ञानिकों के सहयोग से और अधिक परिष्कृत करने की आवश्यकता है।
दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आईवीआरआई द्वारा विकसित टीके ने उत्तर प्रदेश को लंपी स्किन डिज़ीज से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी की दूसरी लहर के दौरान जब गोवंश बुरी तरह प्रभावित हुआ, तब आईवीआरआई द्वारा विकसित टीके ने उत्तर प्रदेश को संक्रमण से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई।
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