केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय पर जोर और कराधान के मोर्चे पर किसी नकारात्मक अचरज के अभाव में बाजार ने खुशी जताई है। इससे उत्साहित होकर निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में कोई बिकवाली नहीं की जबकि शेयर बाजार में करीब 1.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। पिछले दो कारोबारी सत्र के दौरान शेयर बाजार में करीब 3 फीसदी की बढ़त रही।
वैश्विक बाजारों में तेजी के बाद बजट भाषण से पहले बेंचमार्क सूचकांकों में 1 फीसदी से अधिक की तेजी दर्ज की गई। फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने अपने कमजोर परिदृश्य के साथ बाजार को शांत करने की कोशिश की। बजट के दिन घरेलू बाजार में खरीद-फरोख्त की स्थिति काफी अच्छी रही।
दिन भर के कारोबार के दौरान 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 59,032.20 अंकों की ऊंचाई को छूने के बाद 848.40 अंक या 1.46 फीसदी बढ़कर 58,862.57 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 237 अंक या 1.37 फीसदी बढ़कर 17,576.85 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स में सबसे अधिक 7.57 फीसदी की बढ़त टाटा स्टील में दर्ज की गई। इसके अलावा सन फार्मा, इंडसइंड बैंक, एलऐंडटी, अल्ट्राटेक सीमेंट, आईटीसी और एचसीएल टेक भी बढ़त दर्ज करने वाले प्रमुख शेयरों में शामिल थे। दूसरी ओर महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, पावरग्रिड, एसबीआई, भारती एयरटेल, एनटीपीसी, मारुति और रिलायंस के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए।
केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत खर्च संबंधी परिव्यय को मौजूदा 5.54 लाख करोड़ रुपये से 35.4 फीसदी बढ़ाकर 7.50 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की गई है। बढ़त के साथ परिव्यय सकल घरेलू अनुपात (जीडीपी) का करीब 2.9 फीसदी होगा।
विश्लेषकों ने कहा कि पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि और वैश्विक महामारी के बाद सुधार के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) से निवेश प्रवाह में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंटट मैनेजर्स के संस्थापक एवं सीईओ सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘इन घोषणाओं से पूंजीगत व्यय चक्र की शुरुआत होगी। हम उम्मीद करते हैं कि पूंजीगत व्यय में 20 फीसदी का इजाफा होगा और बजटीय आवंटन काफी अधिक होगा। इससे अर्थव्यवस्था को ऐसे समय में मजबूती मिलेगी जब निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय की रफ्तार काफी सुस्त पड़ गई है। अमीर विरोधी कोई कर न होना काफी सकारात्मक बात है।’
सभी परिसंपत्तियों के दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर सीमित अधिभार (एलटीसीजी) को 15 फीसदी करने की घोषणा से बाजार को बल मिला। इसके अलावा पूंजी बाजार से संबंधित अन्य करों में कोई बदलाव न किए जाने को भी एक सकारात्मक कदम के तौर पर देखा गया। हालांकि बाजार प्रतिभागियों ने पुनर्खरीद कर और प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को लेकर कुछ रियायत की मांग की थी।
विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार को यह काफी पसंद आया कि सरकार ने प्रमुख राज्यों में चुनावी वर्ष के बावजूद किसी भी बड़े लोकलुभावन उपाय का सहारा नहीं लिया। राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित आधा दर्जन से अधिक राज्यों में साल 2022 के दौरान चुनाव होने हैं।
नोमुरा के प्रबंध निदेशक और कंट्री प्रमुख प्रभात अवस्थी ने कहा, ‘कोई बड़ी लोकलुभावन
छूट न होने के कारण ऐसा लगता है कि बजट किसी राजनीतिक लाभ के बजाय आर्थिक विकास पर केंद्रित है।’
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘व्यस्त चुनावी वर्ष होने के बावजूद सरकार ने कोई खास लोकलुभावन रियायत नहीं दी है। कच्चे तेल में तेजी के अलावा अगले वित्त वर्ष के लिए राजस्व अथवा आर्थिक वृद्धि का अनुमान उचित दिख रहा है। लोकलुभावन उपायों के लिए रकम खर्च करने के बजाय बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों के निर्माण पर व्यय किए जाने से मांग में सुधार होगा।’
विशेषज्ञों ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर चिंता व्यक्त की है क्योंकि वे व्यापक आर्थिक संकेतकों पर दबाव डाल सकते हैं।
