इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) से बाहर परिचालन करने वाली इकाइयों के लिए बजट में छूट की घोषणा के बाद गिफ्ट सिटी से ज्यादा पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) जारी होने की संभावना है। अब पी-नोट्स को ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ओडीआई) कहा जाता है। विशेषज्ञों ने कहा कि नए कदमों से मॉरीशस और सिंगापुर के मुकाबले गिफ्ट सिटी से पी-नोट्स जारी करना ज्यादा आकर्षक हो सकता है।
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि आईएफएससी में एफपीआई के साथ हुए गैर-डिलिवरी वाले किसी फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट के हस्तांतरण के कारण किसी प्रवासी की अर्जित आय या प्राप्त आय पर छूट मिलेगी। इस कदम से ऑफशोर इकाइयों को अपना ओडीआई कारोबार अन्य देशों से गिफ्ट सिटी में शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है और गैर-बैंक एफपीआई मसलन ब्रोकर-डीलर और ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड को आईएफएससी में ओडीआई जारी करने की इजाजत मिल सकती है।
इसके अतिरिक्त एफपीआई को अन्य देशों मसलन सिंगापुर के बजाय आईएफएससी में अपना परिचालन स्थापित करना ज्यादा लाभकारी लग सकता है। सिंगापुर में एफपीआई को भारतीय कर संधि के तहत लाभांश पर 15 फीसदी की लाभकारी कर की दर का फायदा उठाने के लिए सख्त शर्तों का पालन करना होता है, वहीं गिफ्ट-आईएफएससी में यह दर 10 फीसदी है और नियम बी ज्यादा नरम हैं।
प्राइस वॉटरहाउस ऐंड कंपनी एलएलपी में पार्टनर सुरेश स्वामी ने बताया कि अगर सिंगापुर में कोई इकाई भारत में इक्विटी खरीद रही है तो वह ओडीआई जारी कर रही होगी। कर संधि के तहत लाभांश पर 15 प्रतिशत कर लगेगा – बशर्ते कुछ शर्तें पूरी की गई हों, जैसे सिंगापुर का कर निवासी होना और लाभांश का लाभकारी स्वामित्व होना। इसके उलट गिफ्ट सिटी में ऐसी कोई शर्त नहीं हैं और कर की दर केवल 10 फीसदी है।
उन्होंने कहा कि नए प्रावधान सिंगापुर के प्रावधानों के विपरीत कर लाभ की निश्चितता प्रदान करते हैं जबकि सिंगापुर में शर्तें जुड़ी हैं। अगर ये शर्तें पूरी नहीं होती हैं तो संस्थाओं को 40 फीसदी तक के अधिक कर का सामना करना पड़ सकता है।
डेलॉयट में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा कि गिफ्ट सिटी में लाभांश पर विदहोल्डिंग टैक्स की दर 10 फीसदी है जो सिंगापुर की 15 फीसदी की दर से कम है। सिंगापुर के जरिये निवेश करने वाले फंड प्रबंधकों को भारत के सामान्य एंटी-अवॉयडेंस नियम (जीएएआर) के तहत एंटी-अवॉयडेंस नियमों और मल्टीलेटरल इंस्ट्रूमेंट (एमएलआई) के तहत प्रमुख मकसद की परख करनी होगी। ये शर्तें गिफ्ट सिटी पर लागू नहीं होती हैं, जिससे यह सिंगापुर या मॉरीशस की तुलना में अधिक आकर्षक हो जाता है।
पिछले साल गिफ्ट-आईएफएससी वाले और सेबी के पास पंजीकृत एफपीआई को ओडीआई जारी करने की इजाजत दी गई थी। हालिया बजट घोषणा में इन प्रतिभूतियों पर कर छूट का विस्तार किया गया है। वित्त विधेयक के मुताबिक संशोधन 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा और कर निर्धारण वर्ष 2026-27 और उसके बाद लागू होगा।
कुल पी-नोट्स की बकाया वैल्यू नवंबर में 1.4 लाख करोड़ रुपये थी। यह एफपीआई की कस्टडी के तहत कुल परिसंपत्ति (एयूसी) का महज 1.77 फीसदी है। साल 2007 में कुल एफपीआई एयूसी में पी-नोट्स की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा थी। हालांकि नियामकीय सख्ती और ज्यादा खुलासे की दरकार ने इन प्रतिभूतियों को लेकर अपील कम कर दी है, जो उन इकाइयों को काफी पसंद थी जो भारत में पंजीकृत हुए बिना यहां निवेश करने की इच्छुक हैं।
दिसंबर 2024 में आईएफएससी में बैंकों की तरफ से किए गए डेरिवेटिव लेनदेन 40अरब डॉलर के थे। मॉर्गन स्टैनली, लाइटहाउस कैंटन और लाइटरॉक समेत कई मशहूर फंड इकाइयां गिफ्ट सिटी में पंजीकृत होने के लिए तैयार हैं। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक, गिफ्ट सिटी में अभी 91 एफपीआई पंजीकृत हैं।