अगला पखवाड़ा भारतीय शेयर बाजारों के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहेगा, क्योंकि वे वित्त वर्ष 2025 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट प्रस्तावों का सामना करेंगे और और उनके अनुकूल ढलने की कोशिश करेंगे।
विश्लेषकों का मानना है कि जून तिमाही में कंपनियों के नतीजे (वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही) भी बाजार धारणा पर कुछ असर डालेंगे। विश्लेषकों का कहना है कि मध्यम से दीर्घावधि के नजरिये से बाजार के प्रदर्शन पर बजट का प्रभाव कम हो रहा है।
मॉर्गन स्टैनली में विश्लेषक रिधम देसाई ने शीला राठी और नयंत पारेख के साथ तैयार रिपोर्ट में लिखा है, ‘30 वर्षों में केवल दो बार ही बजट से पहले और बाद में बाजार में तेजी आई है। इस वर्ष भारत एबसोल्यूट और रिलेटिव आधार पर दोनों के लिहाज से ऊंचाई पर है और यदि बजट के दिन तक यह प्रदर्शन जारी रहता है तो इस बात की अधिक संभावना है कि बजट के बाद इसमें सुधार होगा।’
बोफा सिक्योरिटीज
ब्रोकरेज फर्म को खपत बढ़ाने के लिए कर कटौती, खासकर ग्रामीण आवासीय क्षेत्र के लिए ज्यादा सब्सिडी, पीएलआई का दायरा बढ़ने, राज्यों के लिए विशेष सहायता और अतिरिक्त हेल्थकेयर कवरेज की उम्मीद है।
सरकार आयकर दायरा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है। 10 लाख रुपये की सालाना आय वाले लोगों के लिए कम दरों की संभावना है।
सरकार करदाताओं को आसान कर व्यवस्था अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है। इसलिए 80सी में बदलाव की संभावना है। एचआरए छूट के विस्तार के लिए और अधिक गैर-मेट्रो शहरों को शामिल करने की मांग भी बढ़ रही है। प्यूचर औऱ ऑप्शन से आय में कराधान बदल सकता है।
मॉर्गन स्टैनली
उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर बरकरार रखा जाएगा। पूंजीगत व्यय के माध्यम से रोजगार सृजन को बढ़ावा, सामाजिक क्षेत्र में लक्षित व्यय और ‘विकसित भारत’ योजना पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर हो सकता है। मध्यम आय वाले करदाताओं को राहत मिल सकती है।
कृषि, स्टार्टअप, आवासीय, रेलवे, रक्षा, लैब में तैयार डायमंड, इलेक्ट्रॉनिक, सेमीकंडक्टर, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिक व्हीकल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग और अक्षय ऊर्जा को प्रभावित करने वाली घोषणाओं पर नजर रहेगी। हमें यह भी देखना होगा कि आंध्र प्रदेश और बिहार को खर्च के लिए कितनी रकम मिलती है। इन दोनों राज्यों के सत्तारूढ़ दल इस सरकार के दो प्रमुख सहयोगी हैं।
अल्पावधि पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) कर दर मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाई जा सकती है। इक्विटी पर प्रभावी एलटीसीजी कर में वृद्धि के तौर पर या तो दीर्घावधि पूंजी के लिए तय होल्डिंग अवधि 12 महीने से बढ़ाकर दो या तीन साल, या कर की दर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना शेयरों के लिए बड़ा झटका हो सकता है। इसकी हमें या बाजार को उम्मीद नहीं है।
गोल्डमैन सैक्स
बजट में संभवतः 2047 तक सरकार की दीर्घकालिक आर्थिक नीति के बारे में व्यापक बयान पेश किए जाने की संभावना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर जोर, श्रम-प्रधान विनिर्माण के माध्यम से रोजगार सृजन, एमएसएमई को समर्थन, कौशल विकास और उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं के लिए रोजगार पर जोर दिया जा सकता है।
नोमुरा
हमें लोकलुभावनवाद की ओर झुकाव नहीं दिख रहा है। इसके बजाय, पूंजीगत व्यय और राजकोषीय समेकन पर ध्यान बरकरार रहने की संभावना है।