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एमके वेल्थ मैनेजमेंट (Emkay Wealth Management) का अनुमान है कि चांदी की कीमत अगले एक साल में $60 प्रति औंस तक पहुंच सकती है। यह मौजूदा स्तर से लगभग 20% सालाना बढ़ोतरी का संकेत है। एमके ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि चांदी की मौजूदा मांग और आपूर्ति में 20% अंतर दर्ज किया गया है। भविष्य में भी आपूर्ति की कमी बनी रहने की संभावना है। वहीं, सोना पहले ही अच्छा प्रदर्शन दिखा रहा है और अब चांदी भी तेजी के लिए तैयार दिख रही है। ऐसे में दोनों कीमती धातुएं आने वाले महीनों में पारंपरिक निवेशों से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं।
एमके वेल्थ का मानना है कि ऐसे निवेशक जो अपने पोर्टफोलियो में स्थिरता के साथ डायवर्सिफिकेशन लाना चाहते हैं उनके लिए चांदी 2026 में एक अच्छा विकल्प हो सकती है। चांदी की औद्योगिक मांग और सीमित आपूर्ति इसकी कीमतों को सपोर्ट देगी।
साल की शुरुआत से अब तक (8 अक्टूबर तक) सोने ने 61.82% का रिटर्न दिया है। वहीं, भारतीय शेयर बाजार और बॉन्ड क्रमशः 4.2% (Nifty 500 TRI) और 8.4% (Crisil Short Term Bond Index) रिटर्न दर्ज कर चुके हैं। कीमती धातुओं की कीमतें अमेरिकी डॉलर की चाल से प्रभवित होती हैं। अमेरिका में संभावित ब्याज दर में कटौती से डॉलर कमजोर हो सकता है और इससे सोने की कीमतों को बूस्ट मिल सकता है।
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के हेड ऑफ प्रोडक्ट्स, आशीष रणवाडे ने कहा, “संस्थागत निवेशकों और केंद्रीय बैंक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सोना खरीदने को तरजीह दे रहे हैं, जोकि कीमती धातुओं के भाव बढ़ने की प्रमुख वजह है। मांग और आपूर्ति का संतुलन चांदी की कीमत को ऊपर की ओर ले जाने के लिए अनुकूल है और तकनीकी रूप से यह ऐतिहासिक उच्च स्तर के पास है।”
एमके वेल्थ मैनेजमेंट की रिसर्च के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में मौजूदा समय में स्टॉक महंगे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं। निफ्टी 100 का प्राइस-टू-अर्निंग (P/E) अनुपात 21.8 है, जबकि निफ्टी मिडकैप 150 का 33.6, निफ्टी स्मॉलकैप 250 का 30.43 और निफ्टी माइक्रोकैप 250 का 28.88 है। हालांकि, हाई वैल्यूएशन के बावजूद घरेलू निवेशक शेयरों में लगातार पैसा लगा रहे हैं। इससे साफ है कि निवेशकों का भारत की लंबी अवधि की ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा बरकरार है।
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च हेड डॉ. जोसेफ थॉमस ने कहा, “संरचनात्मक तौर पर भारत को वैश्विक आर्थिक आउटलुक में एक अलग और आगे रहने वाला देश माना जा रहा है। हाल ही में बड़ी संख्या में आए आईपीओ ने भारत को बाजार के लिहाज से और बड़ा बना दिया है। स्टॉक स्पेसिफिक मौके अब भी मौजूद हैं। हमें उम्मीद है कि PMS, AIF और एक्टिव फंड मैनेजर अच्छा प्रदर्शन करेंगे।”
रिसर्च में यह भी कहा गया है कि भारत की ग्रोथ स्टोरी में उच्च विकास दर, बड़े बाजार, डिजिटल नेतृत्व, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोत्साहन, सुधारों की गति, चीन+1 रणनीति, सेक्टोरल मजबूती और भू-राजनीतिक संतुलित साझेदारी जैसे कारक अहम भूमिका निभाएंगे।
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एमके वेल्थ का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग, डिजिटल नेतृत्व, अवसंरचना में निवेश, सुधारों की गति और भू-राजनीतिक संतुलन जैसी कई वजहों से लगातार विकास कर सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन+1 रणनीति और विभिन्न सेक्टरों में विविधता के साथ ये ताकतें भारत को उन कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाती हैं, जो 2026 तक 6–6.5% की स्थिर विकास दर देने में सक्षम हैं।
वैश्विक चुनौतियों जैसे शुल्क युद्ध, सप्लाई चेन में व्यवधान और यूक्रेन व मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव से अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि इसका वैश्विक विकास पर केवल 0.5 प्रतिशत अंक का मामूली असर पड़ेगा।
इसके विपरीत, भारत की अर्थव्यवस्था अगले कुछ तिमाहियों में उपभोक्ता खर्च, जीएसटी सुधार और कम ब्याज दरों से 6.2–6.3% की दर से बढ़ने की संभावना है। हालांकि अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यात पर 50% तक शुल्क लगाने जैसी वैश्विक व्यापार चुनौतियां हैं, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था लचीलापन दिखा रही है। अगस्त 2025 में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज पीएमआई 15–17 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक विस्तार का संकेत देता है। अनुकूल मानसून, मजबूत त्योहारों की मांग और स्थिर नीतिगत समर्थन भी भारत के मैक्रोइकॉनॉमिक परिदृश्य को मजबूत बनाते हैं।