सरकार ने अंतरिम बजट में अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्चों को बढ़ाने की फैसला किया है। हालांकि, कुल खर्चों की तुलना में यह बढ़ोतरी मामूली सी ही है। सरकार यह खर्च उत्पादन में इजाफा करने के लिए करती है।
सरकार ने बजट में पूंजीगत खर्चों के लिए इस साल आबंटन को 10.82 फीसदी से बढ़ाकर 11.03 कर दिया है। पूंजीगत खर्चों में इजाफा परिसंपत्तियों के निर्माण और क्षमता में विस्तार के खातिर किया जाता है। इससे नौकरियों की तादाद में काफी इजाफा होता है।
2007-08 को छोड़ दें तो पिछले कई सालों से कुल सरकारी खर्चों में इसका हिस्सा लगातार कम होता जा रहा था। बजट दस्तावेजों के मुताबिक प्रस्तावित पूंजीगत खर्चे 2009-10 में 7.8 फीसदी बढ़कर 1,05,146 करोड़ रुपये हो जाएंगे। इस वित्त वर्ष में इसका आंकड़ा 97,507 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है।
हालांकि, अगले वित्त वर्ष में योजनागत पूंजीगत खर्च घटकर 11 फीसदी रह गए हैं। अगले वित्त वर्ष में इसके लिए सिर्फ 36,800 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं, जो इस वित्त वर्ष में 41,301 करोड़ रुपये है।
वर्ष 2006-07 के बाद यह पहली बार है, जब सरकार के योजनागत पूंजीगत खर्चों में कटौती की गई है। 2009-10 के बजट आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष के कुल खर्चों में कुल पूंजीगत खर्चों की हिस्सेदारी भी 3.86 फीसदी के अपने न्यूनतम स्तर पर है।
सरकार ने यह कदम ऐसे हालात में उठाया है, जब खुद प्रणव मुखर्जी ने आम चुनाव के बाद आर्थिक मंदी को देखते हुए सरकारी खर्चों में इजाफे के लिए कहा था। आम चुनावों में अब कुछ ही महीने बाकी रह गए हैं।
मुखर्जी ने अपने बजटीय भाषण में कहा कि, ‘पूर्ण बजट को पेश किए जाते वक्त सरकार को योजनागत खर्चों में इजाफा करना पड़ेगा। ऐसा आर्थिक मंदी की मौजूदा हालत को देखते हुए अगर हमें अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकनी है, तो नई सरकार को यह कदम तो उठाना ही पड़ेगा।
मौजूदा हालात में हमें जरूरत है एक ऐसी नीति की, जो स्थिरता को कायम कर सके। इसके लिए जरूरत होगी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए होने वाले खर्चे में जबरदस्त इजाफे की।’
पिछले कई सालों की तरह इस साल भी पूंजीगत खर्चों में सबसे ज्यादा इजाफा रक्षा क्षेत्र में हुआ है। रक्षा क्षेत्र को पूंजीगत खर्चों के लिए इस साल 54,824 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं। यह 2008-09 से 33.71 फीसदी ज्यादा है।
साथ ही, सरकार ने 13,179 करोड़ रुपये को उच्च शिक्षा के खातिर पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण में खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। यह चालू वित्त वर्ष की तुलना में 16.2 फीसदी ज्यादा है। वैसे, सरकार ने पूंजीगत खर्चों के मामलों में सबसे ज्यादा धन आबंटित की है डाक विभाग को।
डाक विभाग को पूंजीगत परिसंपत्तियों के विस्तार की खातिर सरकार ने 423.3 करोड़ रुपये सौंपे हैं। यह चालू वित्त वर्ष में विभाग को मिले 255.6 करोड़ की रकम से पूरे 65.4 फीसदी ज्यादा है।
गृह मामलों के विभाग को भी पूंजीगत खर्चों के मद में पूरे 55 फीसदी ज्यादा रकम मिली है। इस अंतरिम बजठ में विभाग को 6354.89 करोड़ रुपये की राशि मिली है, जो पिछले बजट में उसे 4,091 करोड़ रुपये मिले थे। मजे की बात यह है कि तब पी. चिदंबरम ही वित्त मंत्री थे, जो आज गृह मंत्रालय का काम-काज देख रहे हैं।