नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का वादा किया है। वित्त मंत्री ने उत्पादकता बढ़ाने, फसलों के विविधीकरण को बढ़ावा देने, सिंचित भूमि का दायरा बढ़ाने और भंडारण सुविधाओं में इजाफे के लिए ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ के तहत देश के 100 जिलों में लक्षित हस्तक्षेप की घोषणा की है।
केसीसी की सीमा बढ़ाने से खजाने पर 26,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा और इससे 7.7 करोड़ से ज्यादा उत्पादकों, मछुआरों और डेरी किसानों को लाभ होगा। बजट के बाद आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने कहा, ‘यह (केसीसी की सीमा में वृद्धि) उन किसानों को सक्षम बनाने के लिए है जो वाणिज्यिक खेती कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अधिक फसल ऋण की आवश्यकता होती है। यह ग्रामीण खपत बढ़ाने के लिए नहीं है बल्कि उन किसानों को सुविधा देने के लिए है जिन्हें खेती के लिए ज्यादा कर्ज की जरूरत है।’
राज्यों के साथ मिलकर चलाए जाने वाले ‘धन-धान्य कृषि कार्यक्रम’ को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के ‘आकांक्षी जिला’ कार्यक्रम की तर्ज पर तैयार किया गया है। बहरहाल बजट दस्तावेजों से पता चलता है कि इस योजना के लिए केंद्र सरकार कोई सहयोग नहीं देगी।
कुल मिलाकर कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों को 1,71,437 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है जो वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान की तुलना में करीब 22 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान से करीब 13 प्रतिशत ज्यादा है। यह पिछले कुछ वर्षों में कृषि और संबंधित गतिविधियों के बजट आवंटन में बड़ी वृद्धि में से एक है।
इसके अलावा बजट में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड बनाने की भी घोषणा की गई है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसे देखते हुए यह अहम घोषणा है। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। बिहार देश का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है और राज्य के कृषि मंत्री लंबे समय से इस फसल पर जोर दिए जाने की मांग करते रहे हैं।
कृषि अनुसंधान के मोर्चे पर बजट में हाइब्रिड सीड के लिए नैशनल मिशन बनाने का वादा किया गया है। लेकिन इसके लिए महज 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। कृषि अनुसंधान और विकास विभाग (डीएआरई) के लिए 10,466.49 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है जिसमें महज 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बजट में दूसरे राष्ट्रीय विस्तारित जीन बैंक की भी घोषणा की गई जो 10 लाख जर्मप्लाज्म का संरक्षण करेगा। यह भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना से पौधों के आनुवंशिक संसाधनों की सुरक्षा करेगा।
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘यह बजट ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल देगा और साथ ही किसानों का भाग्य बदल देगा।’
कम तकनीकी हस्तक्षेपों के कारण कपास की फसल की उत्पादकता में हाल के वर्षों में तेज गिरावट आई है। कपास की फसल के विकास के लिए वित्त वर्ष 2026 के बजट में 500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ नए मिशन का वादा किया गया है। भारत कपास की कम उत्पादकता वाले देशों में से एक है जहां प्रति हेक्टेयर 450 किलो कपास का उत्पादन होता है जबकि वैश्विक औसत 800 किलो प्रति हेक्टेयर है।
कपास क्षेत्र के साथ-साथ धागा और बुनाई क्षेत्र के लिए भी कर में कई बदलाव किए गए। टेक्सटाइल निर्माता टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय कुमार जैन ने कहा, ‘बजट में फ्लैट 20 प्रतिशत या 115 रुपये प्रति किलो (जो भी अधिक हो) आयात शुल्क की घोषणा की गई है, जो सभी निटेड फैब्रिक एचएस कोड के लिए है। इसका मतलब लीकेज की कोई संभावना नहीं है और 575 रुपये प्रति किलो से कम भाव के किसी भी फैब्रिक पर 115 रुपये प्रति किलो आयात शुल्क लगेगा। इससे दूसरे देशों से आने वाली कम मूल्य वाली फैब्रिक्स पर रोक लगेगी।’
सब्जियों और फलों के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ मिशन की घोषणा की गई है। सिंचाई के लिए ‘हर खेत को पानी’ योजना के तहत बजट अनुमान (बीई) में 83 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है। नई योजनाओं के तहत सबसे ज्यादा 1,000 करोड़ रुपये का आवंटन राष्ट्रीय दलहन मिशन के लिए किया गया है। इस मिशन के तहत अगले 6 साल में खासकर अरहर, उड़द और मसूर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और नेफेड, एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियां ठेका समझौतों के तहत इन 3 दालों की 100 प्रतिशत खरीदारी करेंगी।
मनरेगा का बजट 86,000 करोड़ रुपये रखा गया है जो वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान के बराबर है। ग्रामीण आवास योजना के तहत बजट बढ़ाकर 54,832 करोड़ रुपये किया गया है जो वित्त वर्ष 2024 के 32,426 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से ज्यादा है। यूपी योजना आयोग के पूर्व सदस्य सुधीर पंवार ने कहा, ‘बजट ने पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से आय वृद्धि की किसानों की उम्मीदों को झुठलाया है जो 2018 से स्थिर है।’