बजट

पूंजीगत व्यय को 3 फीसदी से ऊपर बनाए रखना बेहतर मापदंड

पूंजीगत व्यय पर जोर बना हुआ है लेकिन हम जीडीपी का लगभग 1.5 प्रतिशत खर्च कर रहे थे और हम इसे 3 प्रतिशत से अधिक के स्तर तक लाए हैं।

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रुचिका चित्रवंशी   
असित रंजन मिश्र   
Last Updated- February 03, 2025 | 8:34 AM IST

वित्त वर्ष 2026 के बजट में ऋण और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात को वित्त वर्ष 2031 तक लगभग 50 प्रतिशत तक लाने का खाका दिया गया है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने रुचिका चित्रवंशी और असित रंजन मिश्र को साक्षात्कार में बताया कि इसके पीछे क्या तर्क है और इसके साथ ही उन्होंने बजट की बारीकियों पर भी बात की। बातचीत के मुख्य अंशः

पूंजीगत व्यय में एक स्थिरता सी दिख रही है। क्या आपको लगता है कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में हमने इसकी सीमा छू ली है?

वित्त मंत्री ने जुलाई के बजट में कहा था कि हम इसे उच्च स्तर पर लाए हैं। और आगे हम इसे जीडीपी के सापेक्ष नॉमिनल रूप में बनाए रखेंगे और उम्मीद है कि राज्य भी लगभग इतनी ही राशि खर्च करेंगे। पूंजीगत व्यय पर जोर बना हुआ है लेकिन हम जीडीपी का लगभग 1.5 प्रतिशत खर्च कर रहे थे और हम इसे 3 प्रतिशत से अधिक के स्तर तक लाए हैं। राजकोषीय घाटे का ध्यान रखना है। पूंजीगत व्यय को 3 प्रतिशत से अधिक के स्तर पर बनाए रखना एक अच्छा मापदंड है। मैं एक अन्य पहलू पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं जो प्रभावी पूंजीगत परिव्यय है, जिसमें राज्यों को उनके पूंजीगत व्यय के लिए दी जाने वाली राशि भी शामिल है। इस सबको मला दें तो यह जीडीपी के 4.3 प्रतिशत से अधिक है। अगले साल हमारा राजकोषीय घाटा 4.4 प्रतिशत रहने वाला है। इसका मतलब है कि सरकार की लगभग पूरी शुद्ध उधारी का इस्तेमाल भौतिक बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए किया जा रहा है।

पिछले बजट की कुछ चीजें अभी बाकी हैं। जैसे क्रिप्टोकरेंसी पर विमर्श पत्र, आर्थिक नीति ढांचा, वित्तीय क्षेत्र का विजन और रणनीति दस्तावेज। इन सबकी क्या स्थिति है?

हम दो चीजों में काफी आगे हैं। हमने इसे जनवरी तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन इसमें थोड़ा अधिक समय लग गया है। आर्थिक नीति ढांचे का मसौदा उपलब्ध है। हमने सार्वजनिक नीति ढांचे से जुड़े लोगों के साथ परामर्श का एक दौर पूरा कर लिया है और उम्मीद है कि मार्च तक हम विमर्श पत्र जारी कर देंगे। वित्तीय क्षेत्र के भविष्य के नजरिये वाले दस्तावेज पर अभी काम चल रहा है। जहां तक क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र की बात करें तो हमने अपने विमर्श पत्र को लगभग अंतिम रूप दे दिया था। फिर हमें अहसास हुआ कि कई देशों ने इस परिसंपत्ति वर्ग से निपटने के तरीके से जुड़े नए विचार पर काम किया है। क्रिप्टो परिसंपत्तियां सीमाओं के दायरे में नहीं हैं। हमारे लिए ऐसी चर्चा करना बेमानी है जो इससे जुड़े हितधारकों के लिए कोई सही जवाब न लेकर आए। हम इस पर भी विमर्श पत्र लाने की प्रक्रिया में हैं।

क्या आप वित्त वर्ष 2031 तक ऋण-जीडीपी अनुपात के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजकोषीय घाटे में बड़ी कमी की गुंजाइश देखते हैं या आपको लगता है कि इसे कुछ वर्षों तक जीडीपी के 4.4 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखा जाएगा?

एक बेहद वरिष्ठ जानकार व्यक्ति ने टिप्पणी की है कि सरकार राजकोषीय घाटे का लक्ष्य छोड़ रही है। नहीं बिलकुल नहीं। यह रहेगा। यहां तक कि ऋण-जीडीपी अनुपात को कम करने के लिए जिस रोडमैप की बात की गई है उसमें राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए तीन स्तरों- निम्न, मध्यम और उच्च -का जिक्र है। जिस वर्ष में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा है, इसका अर्थ यह है कि अर्थव्यवस्था को राजकोषीय समर्थन की जरूरत सीमित होगी और घाटे को बड़े स्तर पर कम किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर जब अर्थव्यवस्था को खर्च के लिए राजकोषीय समर्थन की जरूरत होगी तब राजकोषीय मजबूती कम रह सकती है। अगर आप 4.4 फीसदी के स्तर पर रहेंगे तब हम 50 फीसदी (ऋण-जीडीपी अनुपात) तक नहीं पहुंचेंगे।

क्या आप ऋण और जीडीपी अनुपात को 1 प्रतिशत तक कम करने पर आगे बढ़ेंगे, जैसा इस बार किया?

वित्त वर्ष 21 में वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि हमारा लक्ष्य वित्त वर्ष 26 तक इसे 4.5 प्रतिशत कम करने का है। यह रास्ता बिलकुल साफ है। इसी तरह इस साल के अंत तक हम ऋण और जीडीपी अनुपात के मामले में 57 प्रतिशत के स्तर पर होंगे। अगले छह वर्षों में इसे लगभग 50 प्रतिशत (1 प्रतिशत कम या ज्यादा) पर लाने का लक्ष्य है। इस तरह ऋण और जीडीपी अनुपात 6 से 7 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।

द्विपक्षीय निवेश संधि मॉडल (मॉडल-बीआईटी) में किस तरह के बदलाव की आशा कर रहे हैं?

मॉडल-बीआईटी के मामले में वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए कुछ मुद्दों पर दोबारा विचार करने की जरूरत महसूस की गई। हम इसे निवेशकों के लिए अधिक से अधिक सुगम बनाना चाहते हैं।

आर्थिक मामलों के विभाग के लिए आवंटित 47,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा?

कई योजनाओं के लिए पहले ही धन दे दिया गया है। लेकिन कई ऐसी भी हैं, जिनके लिए अभी जारी होना है। इसके अलावा कई पहलों के लिए विदेशी धन प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है और नए फंडों के निर्माण के माध्यम से सरकारी धन का लाभ उठाने की कोशिश की जाती है, वह धन उपलब्ध नहीं कराया गया है। जब सभी क्षेत्र अपनी योजनाओं के साथ तैयार होंगे, उनके लिए आवंटन किया जा सकता है

क्या वित्त मंत्री राज्यों से भी ऋण और जीडीपी अनुपात को अपना वित्तीय आधार बनाने के लिए कहेंगी?

इस संबंध में हम उन्हें निर्देश नहीं देंगे। लेकिन हमारा उनसे कहना है कि यह जीएसडीपी का 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

क्या 10.1 नॉमिनल वृद्धि कम है?

हम 10.1 प्रतिशत वृद्धि को व्यावहारिक या उचित अनुमान कह सकते हैं। दिसंबर तक आपका पूंजीगत खर्च 6.8 लाख करोड़ रुपये रहा और वित्त वर्ष 25 के संशोधित अनुमान के मुताबिक अगले तीन महीने में आप 3.4 लाख करोड़ रुपये खर्च का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। क्या यह हासिल किया जा सकेगा?

जनवरी का महीना अच्छा रहा है और पूंजीगत खर्च पिछले साल के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा रहा है। पिछले साल के 10 महीने के मुकाबले इस साल के पहले 10 महीने में खर्च 4 फीसदी ज्यादा हुआ है।

First Published : February 3, 2025 | 7:58 AM IST