इनपुट लागत में भारी वृद्धि होने से वाहन कंपनियों की चुनौतियां बढ़ गई हैं। ऐसे में उन्हें मांग में स्थिरता और लाभप्रदता के बीच सही संतुलन बनाने की आवश्यकता होगी। हालांकि कैलेंडर वर्ष के पहले महीने में वाहनों की कीमतों में वृद्धि एक सामान्य बात है। लेकिन इस साल इस्पात, रबर, रोडियम और प्लैटिनम सहित प्रमुख वस्तुओं की कीमतों ने उल्लेखनीय तेजी से वाहन कंपनियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
वाहन कंपनियों के सामने यह चुनौती ऐसे समय में दिख रही है जब बिक्री में लंबे समय की मंदी के बाद सुधार दिखने ही लगा है। विश्लेषकों और वाहन कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि लागत में वृद्धि को पूरी तरह ग्राहकों के कंधों पर डालना समझदारी नहीं होगी क्योंकि इससे काफी समय तक अपनी खरीद योजना को टालने वाले खरीदार परेशान हो सकते हैं। बिक्री और लाभप्रदता में सही संतुलन बिठाने की जटिलता के कारण भारत की शीर्ष तीन यात्री वाहन विनिर्माताओं- मारुति सुजूकी, हुंडई मोटर्स इंडिया और टाटा मोटर्स- को कीमत वृद्धि संबंधी निर्णय लेने में देरी हुई है जबकि महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, किया मोटर्स सहित अन्य वाहन कंपनियां कीमत में वृद्धि की घोषणा कर चुकी हैं। ये तीनों कंपनियां संभवत: आगामी सप्ताहों के दौरान इस प्रकार की घोषणा कर सकती हैं।
मारुति सुजूकी इंडिया के कार्यकारी निदेशक (बिक्री और विपणन) शशांक श्रीवास्तव का कहना है कि विनिर्माताओं को वॉल्यूम और लाभप्रदता के अच्छी मार्ग पर चलना होगा, क्योंकि हम सभी हाल ही में बुरे दौर से उबरे हैं। आने वाले सप्ताहों के दौरान मारुति दामों में बढ़ोतरी की घोषणा करेगी। कंपनी ने 10 जनवरी तक कारों की बुकिंग करने वालों के लिए मूल्य सुरक्षा योजना शुरू की थी। श्रीवास्तव ने कहा कि कई मॉडल बेचे जा चुके हैं, क्योंकि लोग आने वाले समय की मूल्य वृद्धि से बचना चाहते थे। यह योजना यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि हम अपने खरीदारों को निराश नहीं होने देते हैं।
हुंडई मोटर इंडिया भी मूल्य वृद्धि पर विचार कर रही है और कुछेक सप्ताह के दौरान इसकी घोषणा करेगी। कंपनी के निदेशक (बिक्री और विपणन) तरुण गर्ग ने यह जानकारी दी। गर्ग ने कहा कि हमारा हमेशा यही प्रयास रहेगा कि इस दाम वृद्धि को न्यूनतम रखें। लेकिन ऐसा करना जरूरी है, क्योंकि हाल के दिनों में विनिर्माण सामग्री की लागत में इस तरह की बढ़ोतरी किसी ने नहीं देखी है।
मारुति के श्रीवास्तव ने कहा कि विनिर्माण सामग्री की लागत में वृद्धि रोडियम की कीमतों में महंगाई का तगड़ा रुख दिखने से जोर पकड़ रही है। सात से आठ महीने की अवधि में इसके दाम 2,000 डॉलर प्रति औस से बढ़कर 16,000 डॉलर प्रति औंस तक हो चुके हैं। विभिन्न देशों द्वारा उत्सर्जन के मानदंड कड़े किए जाने के बाद से इस कीमती धातु की मांग बढ़ गई है। श्रीवास्तव ने बताया कि यह उत्प्रेरक परिवर्तक भारत स्टेज-6 और यूरो मानदंडों के लिए प्रमुख चीजों में से एक है। मांग से आपूर्ति में तेजी आई है जिससे दामों में इजाफा हो गया है।
घरेलू दामों को प्रभावित करने वाले अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रमुख कच्चे माल की कीमतों में गत आठ महीनों के दौरान पिछले साल के मुकाबले तेज बढ़ोतरी देखी गई है। जापान की रबर के दाम पिछले साल की तुलना में 85 प्रतिशत बढ़ चुके हैं, चीन के हॉट रोल्ड इस्पात और लंदन मेटल एक्सेंचज पर एल्युमीनियम की कीमतों में क्रमश: 34.6 प्रतिशत और 32.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
