भारत की प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया (ई2डब्ल्यू) कंपनियों ने कहा है कि बैटरी की ‘स्वैपिंग’ यानी अदला-बदली फिलहाल पूरी तरह अनुकूल नहीं है और इससे उपभोक्ता के लिए वाहन चलाने की लागत बढ़ेगी, जिससे यह एक अनुपयोगी पेशकश बन जाएगी।
इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियों की यह प्रतिक्रिया वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा वाहन कंपनियों के साथ हुई एक बैठक में सुझाए गए उपायों के बाद सामने आई है। मंत्री ने इस बैठक में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाने के लिए चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ बैटरी स्वैपिंग की जरूरत पर जोर दिया।
एक ई2डब्ल्यू निर्माता के मुख्य अधिकारी ने कहा, ‘यह आसान है। उदाहरण के लिए, बैटरी-स्वैपिंग प्रदाता को, बैटरी बदलने के लिए आने वाले ग्राहकों की संख्या से ज्यादा बैटरियों का स्टॉक रखना होगा।’ उन्होंने कहा कि इससे सभी सुरक्षा व्यवस्था के साथ स्वैपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर लगाने का खर्च आएगा, जो काफी महंगा है।
दोपहिया वाहन निर्माताओं ने कहा कि स्वैपिंग का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि ई-स्कूटर के दैनिक उपयोग का कुल औसत माइलेज (उद्योग का औसत 28-30 किलोमीटर प्रतिदिन) कम है। हालांकि, बाजार में कई ई-स्कूटर का माइलेज एक बार चार्ज करने पर बैटरी की न्यूनतम रेंज के बराबर है।