आज का अखबार

देशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगी

सीडीएससीओ ने व्यापक जांच के लिए राज्यों से मांगी कफ सिरप निर्माताओं की सूची, डब्ल्यूएचओ को दिया जवाब

Published by
संकेत कौल   
Last Updated- October 09, 2025 | 10:40 PM IST

कफ सिरप से मौत के मामले सामने आने से देश भर में मचे हड़कंप के बाद सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) सक्रिय हो गया है। नियामक संस्था ने पूरे देश में दवा कंपनियों की जांच का अभियान शुरू किया है। इसने जांच, निरीक्षण और ऑडिट के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कफ सिरप निर्माता कंपनियों की सूची मांगी है।

इस बीच, एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीडीएससीओ की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को बताया गया है कि कम से कम तीन कफ सिरप- कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ को वापस मंगाया गया है और निर्माताओं को इनका उत्पादन बंद करने का आदेश दिया गया है। इन सिरप में जहरीले पदार्थों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, जिनके सेवन से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में लगभग 24 बच्चों की मौत हो गई थी। डब्ल्यूएचओ ने जानना चाहा था कि क्या भारत में बच्चों की मौत से जुड़ा कफ सिरप दूसरे देशों को निर्यात किया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले कहा था कि तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मा द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप के एक बैच में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) की 48 प्रतिशत मौजूदगी पाई गई थी। अधिकारियों ने कहा कि गुजरात में निर्मित दो अन्य सिरप रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ में भी डीईजी का स्तर निर्धारित सीमा से थोड़ा अधिक पाया गया है। डीईजी एक सस्ता और रंगहीन औद्योगिक रसायन है, जिसका उपयोग आमतौर पर ब्रेक फ्लूइड और पेंट जैसे उत्पादों को बनाने में किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि तीनों में से कोई भी सिरप भारत से निर्यात नहीं किया गया।

केंद्रीय दवा नियामक निकाय ने तमिलनाडु खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) से स्पष्टीकरण मांगा है कि श्रीसन फार्मा की इकाइयों में उत्पाद परीक्षण और साइट निरीक्षण क्यों नहीं किए गए। घटना के बाद किए गए हालिया स्थलीय ऑडिट में 364 टिप्पणियां दर्ज की गईं, जिनमें से 38 बेहद महत्त्वपूर्ण थीं। सूत्रों का कहना है कि फर्म को 2011 में लाइसेंस दिया गया था, जिसे राज्य एफडीए द्वारा सीडीएससीओ को सूचित किए बिना ही 2016-17 में नवीनीकृत कर दिया गया।

जानकारों का कहना है, ‘सीडीएससीओ ने फर्म का लाइसेंस रद्द करने और उसके खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करने की सिफारिश की है।’ टिप्पणी के लिए तमिलनाडु एफडीए से तुरंत संपर्क नहीं किया जा सका। रिपोर्टों के अनुसार श्रीसन फार्मा के मालिक रंगनाथन गोविंदन को मध्य प्रदेश पुलिस ने चेन्नई से हिरासत में ले लिया है।

इस बीच तमिलनाडु सरकार ने कफ सिरप में मिलावट के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में दो वरिष्ठ औषधि निरीक्षकों को निलंबित कर दिया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमणियन ने बताया कि उस फार्मा कंपनी को स्थायी रूप से बंद करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, जिसकी दवा से कथित रूप से कई बच्चों की मौत हुई।

 दूसरी ओर, गुजरात के सिरप निर्माताओं को उत्पादन बंद करने का आदेश जारी किया गया है। राजस्थान के बारे में सूत्रों ने कहा कि राज्य में एकत्र किए गए नमूने स्पष्ट पाए गए और मौतों का कारण एक्यूट इन्सेफलाइटिस हो सकता है। सूत्रों ने यह भी कहा कि अभी तक किसी भी राज्य ने सुधारात्मक और निवारक कार्रवाई (कैपा) दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है, जिन्हें फार्मास्युटिकल उत्पादों में सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानकों को बनाए रखने के लिए लागू किया गया है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘अब तक केवल 18 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश दवा नियंत्रण अधिकारियों ने ऑनलाइन नैशनल ड्रग्स लाइसेंसिंग सिस्टम को अपनाया है, जिसका उद्देश्य दवा लाइसेंसिंग और नियामकीय अनुपालन को सुव्यवस्थित करना होता है।’ ऑनलाइन नैशनल ड्रग्स लाइसेंसिंग सिस्टम भारत में विभिन्न दवा संबंधी लाइसेंस जारी करने के लिए एक डिजिटल, सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म है। इसे सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) द्वारा सीडीएससीओ के सहयोग से विकसित किया गया है।

भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई) ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दवा नियंत्रकों से आग्रह किया था कि वे फार्मास्युटिकल उत्पादों को बाजार में जारी करने से पहले कच्चे माल और तैयार फॉर्मूलेशन का परीक्षण अवश्य करें। अपनी सिफारिश में डीसीजीआई ने यह भी कहा कि विनिर्माण इकाइयों में हाल के निरीक्षणों और जांच के दौरान पाया गया कि कई दवा निर्माता उपयोग से पहले निर्धारित मानकों के अनुपालन के लिए एक्ससिपिएंट्स और सक्रिय अवयवों के प्रत्येक बैच का परीक्षण नहीं कर रहे हैं।

सीबीआई जांच के लिए याचिका

उच्चतम न्यायालय मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर मिलावटी कफ सिरप के सेवन से बच्चों की हुई मौत के मद्देनजर दवा सुरक्षा तंत्र में जांच और व्यवस्थागत सुधार के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुईया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन के पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले और वकील विशाल तिवारी की इस दलील पर गौर किया कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। पीठ 10 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई करेगी।

तमिलनाडु नहीं कर रहा सहयोग: मोहन यादव

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार कफ सिरप निर्माता कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई में तमिलनाडु सरकार सहयोग नहीं कर रही है। यादव गुरुवार को नागपुर पहुंचे और वहां के अस्पतालों में भर्ती बच्चों और उनके परिजन से मिले।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जहरीले कफ सिरप मामले में जिस राज्य में दवाई बनी वहां जाकर मध्य प्रदेश पुलिस ने कार्रवाई की लेकिन यह सही है कि तमिलनाडु सरकार को जिस प्रकार का सहयोग करना चाहिए, वैसा सहयोग नहीं मिल रहा है।   (साथ में संदीप कुमार)

First Published : October 9, 2025 | 10:40 PM IST