आज का अखबार

भीषण गर्मी के साथ मंडराया जल संकट…

संयुक्त राष्ट्र की संस्था डब्ल्यूएमओ के अनुसार वर्ष 2023 में दुनिया में सबसे अधिक मौसम, जलवायु और जल संबंधित आपदा के खतरे से प्रभावित होने वाला क्षेत्र एशिया रहा।

Published by
श्रेया जय   
Last Updated- April 23, 2024 | 11:38 PM IST

एशिया क्षेत्र वैश्विक औसत से अधिक गर्म हो रहा है। भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश लू, बाढ़ और सूखे से जूझ रहे हैं। विश्व मौसम संगठन (WMO) की 2023 में एशिया में जलवायु की स्थिति से जुड़ी नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

संयुक्त राष्ट्र की संस्था डब्ल्यूएमओ के अनुसार वर्ष 2023 में दुनिया में सबसे अधिक मौसम, जलवायु और जल संबंधित आपदा के खतरे से प्रभावित होने वाला क्षेत्र एशिया रहा। बाढ़ और तूफान से बड़ी तादाद में लोग हताहत हुए और इस क्षेत्र में सबसे अधिक आर्थिक नुकसान भी हुआ। लू का प्रभाव भी अधिक गंभीर हो गया।

इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एशिया वैश्विक औसत के मुकाबले तेजी से गर्म हो रहा है। वर्ष 1961-1990 की अवधि से इसके गर्म होने का रुझान लगभग दोगुना हो गया है।’ यह भी कहा गया है कि भारत में वर्ष 2023 में अप्रैल और जून महीने में गर्मी की लहर के कारण लू से लगभग 110 लोगों की मौत हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘अप्रैल और मई में दक्षिण-पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्से गर्मी से प्रभावित हुए और यह लहर पश्चिम में बांग्लादेश से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक और उत्तर में दक्षिणी चीन तक रिकॉर्ड तोड़ने वाले तापमान के साथ फैली।’ भारत में अप्रैल और जून में भीषण गर्मी के कारण लू से लगभग 110 लोगों की मौत हो गई।

डब्ल्यूएमओ के मुताबिक एशिया क्षेत्र के अधिक गर्म होने में अलनीनो प्रभाव की भूमिका है। वर्ष 2023 की गर्मी के मौसम में दक्षिण एशिया में गर्मी और सूखे जैसी स्थितियां एशिया में सामान्य से कमजोर मॉनसून के कारण बनी जिसकी वजह अलनीनो है। मिसाल के तौर पर अगस्त में भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर अधिक मासिक औसत तापमान का अनुभव किया और इसके साथ ही इसी महीने में अभूतपूर्व रूप से बारिश की कमी भी देखी गई।

दक्षिण पूर्व एशिया में अत्यधिक तापमान वर्ष 2023 में गर्मी के मौसम की शुरुआत से लेकर पतझड़ तक बना रहा। इसके चलते वर्ष 2023 में भारत में गर्मी में मॉनसून की शुरुआत भी देर से हुई। डब्ल्यूएमओ द्वारा संकलित किए गए डेटा के मुताबिक पूरे भारत में औसतन गर्मी के मौसम वाले मॉनसून की मौसमी बारिश वर्ष 1971-2020 की अवधि के सामान्य जलवायु का 94 फीसदी था।

दूसरी ओर, देश के अन्य क्षेत्रों और एशिया में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति बन गई। जून और जुलाई में, भारत, पाकिस्तान और नेपाल में बाढ़, भूस्खलन और बिजली गिरने से कम से कम 599 लोगों की मौत हो गई। भारत में मॉनसून की बारिश तेज होने के कारण जुलाई और अगस्त में भूस्खलन देखा गया। पहाड़ी राज्यों में व्यापक बाढ़ और भूस्खलन ने 25 लोगों की जान चली गई और बुनियादी ढांचे तथा खेती को भारी नुकसान हुआ।

पिछले साल लद्दाख के दक्षिण लोनक में हिमनद झील फटने से आई बाढ़ से उत्तरी सिक्किम के चुंगथांग में तीस्ता 3 पनबिजली बांध क्षतिग्रस्त हो गया और इसके चलते निचले इलाकों में व्यापक तबाही की स्थिति बनी।

भारतीय राष्ट्रीय आपदा राहत केंद्र (एनडीएमआई) के अनुसार अचानक आई बाढ़ के कारण 100 से अधिक लोगों की मौत हुई और 70 से अधिक लोग लापता हो गए। डब्ल्यूएमओ ने कहा कि इस प्रकार की आपदा, जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों के पिघलने से देखी जा रही है और इसके चलते पहाड़ी समुदायों के लिए जोखिम की स्थिति बन रही है।

First Published : April 23, 2024 | 10:30 PM IST