भुगतान एग्रीगेटर का लाइसेंस पाने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कैलेंडर वर्ष 2024 के 4 महीनों में 20 कंपनियों को इस तरह का लाइसेंस दिया है।
मंगलवार को बैंकिंग नियामक ने ग्रो पे (Groww Pay) को भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस जारी किया है। यह ब्रोकिंग फर्म ग्रो और पेमेंट फर्म वर्ल्डलाइन का यूपीआई पेमेंट्स प्लेटफॉर्म है।
वर्ल्डलाइन के भारत के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) रमेश नरसिम्हन ने कहा, ‘डिजिटल भुगतान के लिए हम ई कॉमर्स, बीएफएसआई, रिटेल, युटिलिटीज, शिक्षा, यात्रा, आतिथ्य जैसे विभिन्न सेग्मेंट के कारोबारियों के साथ काम कर रहे हैं। रिजर्व बैंक द्वारा दी गई मंजूरी भारतीय बाजार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और अनुपालन पर ध्यान देने का परिणाम है। यह नियमन के तहत बेहतर तरीके से भुगतान के क्षेत्र में काम करने के महत्त्व को दिखाता है।’
इस साल एमेजॉन पे, डिजिगो, सीसीएवेन्यू, डिसेंट्रो, एमस्वाइप, टाटा पे, जोहो, जोमैटो के साथ अन्य को पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने को नियामक से मंजूरी मिली है। इन कंपनियों ने बाजार के अन्य हिस्सेदारों जैसे रेजरपे और कैशफ्री पेमेंट्स जैसे बाजार दिग्गजों के बीच कदम रखा है, जिन्हें दिसंबर 2023 में लाइसेंस मिला था।
इसके पहले करीब एक साल तक नए मर्चेंट शामिल किए जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ था। रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में नियामक ने 7 कंपनियों को एग्रीगेटर लाइसेंस दिया था।
उधर पिछले सप्ताह प्रोसस समर्थित फिनटेक पेयू को भुगतान एग्रीगेटर के रूप में रिजर्व बैंक से सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी। पिछले साल जनवरी में बैंकिंग नियामक ने फिनटेक कंपनी से पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए फिर से आवेदन करने को कहा था। कं
पनी का जटिल कॉर्पोरेट ढांचा एक वजह थी, जिसके कारण रिजर्व बैंक ने लाइसेंस के लिए फिर से आवेदन करने को कहा था। सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद नियामक से अंतिम मंजूरी मिलने में सामान्यतया 6 महीने वक्त लगता है।