दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को किफायती विमानन सेवा कंपनी स्पाइसजेट के चेयरमैन (Spicejet Chairman) और प्रबंध निदेशक को 5 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
अदालत ने स्पाइसजेट और अजय सिंह को अगली सुनवाई से पहले अपनी परिसंपत्तियों का खुलासा करने वाला शपथपत्र भी जमा कराने के लिए नोटिस भी जारी किया है।
काल एयरवेज (Kal Airways) और मारन के वकील मनिंदर सिंह ने 13 फरवरी के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को देखते हुए अपनी दलील शुरू की। इस आदेश में स्पाइसजेट से कहा गया है कि वह काल एयरवेज व कलानिधि मारन को 3 महीने के भीतर 75 करोड़ रुपये का भुगतान करे, जो आर्बिट्रेशन के फैसले के तहत ब्याज की देनदारी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि अगर स्पाइसजेट रकम चुकाने में नाकाम रहती है तो आर्बिट्रेशन के फैसले वाली पूरी 380 करोड़ रुपये की पूरी रकम काल एयरवेज व कलानिधि मारन के हक में पूरी तरह क्रियान्वितहो जाएगी। सिंह ने आज उच्च न्यायालय से कहा कि स्पाइसजेट किसी भी अदालत के आदेश का पालन नहीं कर रही है।
स्पाइसजेट के वकील संदीप सेठी ने कहा, इस चरण में जल्द सुनवाई की इजाजत देने की कोई वजह नजर नहीं आती और मामले पर 5 सितंबर को सुनवाई की जा सकती है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 29 मई को आदेश दिया था कि स्पाइसजेट अपने पूर्व प्रवर्तक सन ग्रुप के कलानिधि मारन को 380 करोड़ रुपये चुकाए और विमानन कंपनी को चार हफ्ते के भीतर अपनी परिसंपत्तियों के संबंध में शपथपत्र जमा कराए।