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साल 2024 में सुस्त रफ्तार…विलय-अधिग्रहण की धीमी रही शुरुआत

ब्लूमबर्ग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भारतीय कंपनियों ने साल 2023 में जनवरी से 22 मार्च के बीच 23.5 अरब डॉलर के सौदे किए थे।

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देव चटर्जी   
Last Updated- March 24, 2024 | 10:54 PM IST

देश में विलय और अधिग्रहण की रफ्तार धीमी हो गई है। इस साल जनवरी से अब तक सौदे का मूल्य पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 43 प्रतिशत कम होकर 13.37 अरब डॉलर रह गया है।

ब्लूमबर्ग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भारतीय कंपनियों ने साल 2023 में जनवरी से 22 मार्च के बीच 23.5 अरब डॉलर के सौदे किए थे।

डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट द्वारा अमेरिकन टॉवर कॉरपोरेशन के भारतीय दूरसंचार टावर कारोबार का 2.5 अरब डॉलर में किया गया अधिग्रहण चालू तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा सौदा रहा। इसके बाद हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट द्वारा 1.08 अरब डॉलर में पीएनसी इन्फ्राट्रेच की सड़क परियोजनाओं के अधिग्रहण का स्थान रहा।

हालांकि सौदों की संख्या के लिहाज से भारतीय कंपनी जगत में जनवरी से अब तक 675 सौदे किए गए हैं, जबकि साल 2023 की समान अवधि में 547 सौदे किए गए थे। इस तरह इनमें 23.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा वायाकॉम18 में अमेरिकी दिग्गज कंपनी पैरामाउंट ग्लोबल की अल्पांश हिस्सेदारी का 51.8 करोड़ डॉलर में किया गया अधिग्रहण इस साल के अब तक के शीर्ष पांच सौदों में से एक रहा।

रणनीतिक वित्तीय सलाहकार प्रबल बनर्जी का कहना है कि विलय और अधिग्रहण में नरमी वैश्विक घटना है। अधिकांश भारतीय कंपनियां अब अपनी नकदी बचाकर चल रही हैं। चल रहे दो युद्धों, लाल सागर की आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और भारत में आम चुनावों से संबंधित अनिश्चितताएं कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से विलय और अधिग्रहण के सौदे इस साल धीमी रफ्तार से चल रहे हैं।

बैंकरों ने कहा है कि चुनाव खत्म होने के बाद विलय और अधिग्रहण के सौदों में तेजी देखने को मिलेगी क्योंकि भारतीय कंपनियां पैसा खर्च करने के प्रति अधिक आश्वस्त हो जाएंगी। एक बैंकर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा ‘हमें साल 2024 की दूसरी छमाही में कुछ बड़े सौदे होने की उम्मीद है क्योंकि कई सौदों पर बातचीत अभी चल रही है।’

First Published : March 24, 2024 | 10:36 PM IST