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जुलाई-सितंबर तिमाही में भी क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट कंपनियों पर दबाव बरकरार

जहां पिज्जा और बर्गर श्रृंखलाओं ने तिमाही आधार पर भागीदारी में वृद्धि दर्ज की, वहीं छमाही में हालात विपरीत रहने की आशंका है।

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राम प्रसाद साहू   
Last Updated- November 19, 2023 | 10:53 PM IST

अप्रैल-जून तिमाही में सुस्त प्रदर्शन के बाद, क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर) कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भी कमजोर परिचालन के साथ बाजार को निराश किया।

इन दोनों अवधियों में कंपनियों के स्टोरों का प्रदर्शन या तो सपाट रहा या एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले कुछ गिरावट दर्ज की गई।

इस क्षेत्र में मौजूदा नेटवर्क विस्तार की कोशिशों के बावजूद कई ब्रोकरों ने अपने परिचालन मुनाफा और आय अनुमान घटाए हैं तथा वे मान रहे हैं कि हालात सामान्य होने में कुछ और तिमाहियों का समय लग सकता है।

दूसरी तिमाही के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एमके रिसर्च के शोध विश्लेषकों देवांशु बंसल और विशाल पंजवानी ने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही और पहली छमाही में 9 प्रतिशत और 11 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की।

इससे 2019-20 से 2022-23 के दौरान दर्ज की गई 15 प्रतिशत की सालाना वृद्धि की तुलना में कमजोर वृद्धि का संकेत मिलता है। मुद्रास्फीति आधारित मांग से जुड़ी चुनौतियों की वजह से कंपनियों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जहां पिज्जा और बर्गर श्रृंखलाओं ने तिमाही आधार पर भागीदारी में वृद्धि दर्ज की, वहीं छमाही में हालात विपरीत रहने की आशंका है।

घरेलू ब्रोकरेज के बंसल और पंजवानी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि कड़ी प्रतिस्पर्धा और मुद्रास्फीति के बीच कम कीमत पर जोर दिए जाने से पिज्जा श्रेणी के लिए दबाव बना रह सकता है।’

कुछ असर देवयानी इंटरनैशनल और सेफायर फूड्स इंडिया के प्रदर्शन में देखने को मिला। सेफायर फूड्स मुख्य तौर पर उपमहाद्वीप में यम ब्रांड्स की सबसे बड़ी फ्रैंचाइजी में शुमार है। उसके पूरे भारत, श्रीलंका और मालदीव में 700 से ज्यादा केंटुकी फ्रायड चिकन (केएफसी), पिज्जा हट और टैको बेल रेस्तरां हैं।

देवयानी इंटरनैशनल को भारत में यम ब्रांड्स (केएफसी और पिज्जा हट) के लिए सबसे बड़ी फ्रैंचाइजी माना जाता है और वह देश में कोस्टा कॉफी ब्रांडों तथा स्टोरों के लिए एकमात्र फ्रैंचाइजी भी है।

कंपनी का राजस्व एक साल पहले के मुकाबले 10 प्रतिशत बढ़ा, क्योंकि उसे सालाना आधार पर स्टोरों की संख्या में 24 प्रतिशत वृद्धि से मदद मिली। इससे केएफसी और पिज्जा हट, दोनों के लिए कमजोर सेम-स्टोर सेल्स ग्रोथ (एसएसएसजी) की भरपाई हुई।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषक अलीसागर शाकिर ने कहा, ‘चुनौतीपूर्ण परिवेश की वजह से एसएसएसजी कमजोर बनी रही और इसमें सुधार आने में कुछ तिमाहियों का वक्त लग सकता है। पिज्जा हट को बढ़ती प्रतिस्पर्धा के प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।’

ब्रोकरेज का मानना है कि 250-275 के मजबूत स्टोर वृद्धि अनुमान के साथ, वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही के लिए एसएसएसजी में सुधार के आसार हैं और मुद्रास्फीति में नरमी से भविष्य में मुनाफे में इजाफा दर्ज किया जा सकता है।

नुवामा रिसर्च के अनुसार, भले ही सेफायर फूड्स ने अनुरूप प्रदर्शन किया है, लेकिन केएफसी और पिज्जा हट के बीच अंतर और बढ़ गया है। जहां केएफसी के लिए एसएसएसजी सपाट रही, वहीं पिज्जा हट ने दूसरी तिमाही में इसमें 20 प्रतिशत गिरावट दर्ज की, जबकि पहली तिमाही में 9 प्रतिशत कमजोरी आई थी।

ब्रोकरेज के विश्लेषक निहाल महेश झैम का कहना है कि ज्यादा शाकाहारी दिनों की वजह से केएफसी का प्रदर्शन सकारात्मक रहा, लेकिन पिज्जा हटा को दबाव का सामना करना पड़ा, क्योंकि जुबिलैंट फूडवर्क्स या डोमिनोज (एसएसएसजी में 1.3 प्रतिशत गिरावट) और अन्य क्यूएसआर में तेजी आ रही है।

दूसरी तिमाही में जुबिलैंट फूडवर्क्स कर 4.5 प्रतिशत की मुख्य राजस्व वृद्धि निराशाजनक रही और डिलिवरी चैनल राजस्व महज 7.9 प्रतिशत बढ़ा।

12 प्रतिशत की स्टोर वृद्धि पर प्रति स्टोर औसत बिक्री में 6-7 प्रतिशत गिरावट से दबाव पड़ा और एसएसएसजी में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई।

कमजोर बिक्री वृद्धि और ऊंची उत्पादन लागत से परिचालन मुनाफे पर दबाव पड़ा और इसमें 10 प्रतिशत की गिरावट आई। परिचालन मुनाफा मार्जिन ऊंचे मुद्रास्फीति दबाव और परिचालन खर्च बढ़ने की वजह से सालाना आधार पर 341 आधार अंक घटकर 20.9 प्रतिशत रह गया।

आईआईएफएल रिसर्च ने वित्त वर्ष 2024 से 2025-26 के लिए परिचालन मुनाफा अनुमान 5-9 प्रतिशत तक घटा दिया है। कमजोर प्रदर्शन और मांग तथा मार्जिन दबाव बरकरार रहने की आशंका को ध्यान में रखते हुए इस अनुमान में कटौती की गई है।

पूरे पश्चिम एवं दक्षिण भारत में मैकडॉनल्ड की फास्ट फूड चेन का परिचालन करने वाली वेस्टलाइफ फूडवर्ल्ड ने पिछली कुछ तिमाहियों से अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि कंपनी राजस्व और परिचालन मुनाफे, दोनों के मोर्चे पर विश्लेषकों के अनुमान पर खरा नहीं उतर सकी है।

पहली तिमाही में 7 प्रतिशत एसएसएसजी के बाद, कंपनी के लिए यह वृद्धि नरम पड़कर दूसरी तिमाही में 1 प्रतिशत रह गई। खपत में कमजोरी और ऊंचे आधार की वजह से भी यह सुस्ती दर्ज की गई।

जेएम फाइनैंशियल रिसर्च का कहना है कि इस शेयर में गिरावट को खरीदारी के अवसर के तौर पर देखा जा सकता है।

First Published : November 19, 2023 | 10:53 PM IST