पश्चिम एशिया के घटनाक्रम की अनदेखी बाजार तब तक करने की कोशिश करेगा जब तक कि आक्रमण न हो जाए। जेफरीज के वैश्विक प्रमुख (इक्विटी रणनीतिकार) क्रिस्टोफर वुड ने ग्रीड ऐंड फियर में ये बातें लिखी है।
उनका मानना है कि इससे बाजारों में राहत भरा कारोबार हो सकता है और उन्हें बॉन्ड प्रतिफल के असहज उच्चस्तर के निहितार्थ की अनदेखी करने में थोड़े समय तक मदद मिल सकती है।
वुड ने कहा, अगर ग्रीड ऐंड फियर गलत निकलता है और आक्रमण हो जाता है तो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और क्षेत्रीय स्तर पर व्यापक संघर्ष की चिंता के लिहाज से तत्काल नकारात्मक असर दिखेगा और यह चिंता दुर्भाग्य से तर्कसंगत होगी।
इस बीच, रिपोर्ट बताती है कि इजरायल (Israel) ने गुरुवार को उत्तरी गाजा में मैदानी छापेमारी शुरू कर दी। वुड का मानना है कि इजरायल खबरों के नए चक्र का इंतजार कर रहा है और हमले की सबसे अच्छी योजना पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, यह पूरी तरह संभव है। यह ग्रीड ऐंड फियर को स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह समय इजरायल की मौजूदा सरकार के पक्ष में है क्योंकि इजरायल में आंतरिक राजनीतिक विभाजन एक बार फिर उभर आया है।
इस बीच, पिछले कुछ हफ्तों में इक्विटी बाजारों ने पश्चिम एशिया के घटनाक्रम पर काफी प्रतिक्रिया जताई है और दुनिया भर के ज्यादातर मुख्य सूचकांकों ने 1 से सात फीसदी तक की गिरावट दर्ज की है।
भारतीय बाजार एशिया में सबसे ज्यादा प्रभावित बाजारों में से एक है और एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 5 फीसदी से ज्यादा फिसलकर 64,000 के नीचे चला गया। दूसरी ओर, निफ्टी-50 भी चार महीने में पहली बार 19,000 के नीचे फिसल गया।
तेल में उबाल
इजरायल-हमास युद्ध का एक अन्य असर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिला है, जो 18 अक्टूबर को उछलकर 92 डॉलर प्रति बैरल पर चला गया, जो 5 अक्टूबर को 84 डॉलर प्रति बैरल था। इस तरह से 13 दिन में कीमतें करीब 10 फीसदी बढ़ गई। कीमतें हालांकि कुछ नीचे आई हैं।
बाजार की प्रतिक्रिया पर यूबीएस के विश्लेषकों का कहना है कि जोखिम मुक्त कारोबार के लिए तेल मुख्य ट्रांसमिशन मैकेनिज्म बना हुआ है और इसमें काफी बढ़ोतरी पर नजर रखनी होगी। हालांकि उन्हें तेल की कीमतें 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहने की संभावना दिख रही है।