बंबई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध वेदांत लिमिटेड (Vedanta Limited) को कर्ज देने वाली भारतीय संस्थाएं कारोबार को अलग-अलग कंपनियों में बांटने की उसकी योजना को आनन फानन में मंजूरी शायद नहीं देंगी। ऋणदाताओं की हिचक की वजह समझाते हुए विश्लेषकों ने कहा कि अलग-अलग इकाई में बंटने से कारोबार में नकदी प्रवाह कम हो सकता है और अस्थिरता बढ़ सकती है।
वेदांत के कारोबार को 6 अलग-अलग सूचीबद्ध कंपनियों में बांटने के प्रस्ताव पर शेयरधारकों, ऋणदाताओं और अन्य सांविधिक निकायों से अनुमति लेनी होगी।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने आगाह करते हुए एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारे हिसाब से अलग-अलग सूचीबद्ध इकाइयां होने से कारोबारों में नकदी प्रवाह के विकल्प कम होंगे और नकदी प्रवाह बिगड़ेगा। ऐसे में ऋणदाताओं से योजना पर हामी भरवाना चुनौतीपूर्ण होगा। खास तौर पर जब कंपनी पर काफी ज्यादा कर्ज हो और वेदांत का (हिंदुस्तान जिंक को छोड़कर) शुद्ध कर्ज वित्त वर्ष 2024 से 26 के दौरान एबिटा का चार गुना हो।’
इससे पहले वेदांत को विभिन्न सूचीबद्ध कंपनियों के विलय की कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था। 2012 में उसने सेसा गोवा और स्टरलाइट का विलय किया था और फिर 2017 में सेसास्टरलाइट और केयर्न इंडिया का विलय किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपक्रमों के मूल्य का पता लगाने के लिए विभिन्न कारोबारों को अलग-अलग सूचीबद्ध इकाई में बांटने का वेदांत का निर्णय पहले किए गए कारोबार के पुनर्गठन यानी विलय से एकदम उलट है।
इस बारे में एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि वेदांत ने अभी अपनी योजना के साथ हमसे औपचारिक संपर्क नहीं किया है। पुनर्गठन के पीछे के तर्क के साथ ही ऋणदाता हरेक इकाई के लिए कारोबारी योजना, वित्तीय प्रबंधन और रकम के प्रबंधन के बारे में पूछ सकते हैं।
वेदांत का शेयर 3.7 फीसदी बढ़कर 231 रुपये पर बंद हुआ मगर ब्लूमबर्ग के अनुसार वेदांत रिसोर्सेस का अमेरिकी डॉलर वाला बॉन्ड 1.5 सेंट नीचे चला गया, जो 31 अगस्त के बाद एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। बॉन्ड का भुगतान मार्च 2025 में किया जाना है। इसी तरह अप्रैल 2026 में देय डेट बॉन्ड में 1.6 सेंट की गिरावट आई।
इस बारे में जानकारी के लिए वेदांत को ईमेल किया गया लेकिन जवाब नहीं आया। वेदांत समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि समूह की योजना वित्त वर्ष 2024 तक अपने स्टील एवं लौह अयस्क कारोबार की बिक्री पूरी करने की है। इससे कर्ज घटाने में मदद मिलेगी। समूह अगले साल जनवरी और अगस्त में देय कर्ज चुकाने के लिए पैसों का बंदोबस्त कर रहा है। अग्रवाल ने एक टीवी चैनल को बताया, ‘करीब 1 अरब डॉलर का भुगतान जनवरी में करना है और अगस्त में 50 से 60 करोड़ डॉलर की देनदारी है।’
फिच की सहाक इकाई क्रेडिटसाइट्स के विश्लेषकों ने कहा कि पुनर्गठन योजना से वेदांत की कर्ज देनदारी पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इसकी सभी प्रस्तावित इकाइयों पर कुल ऋण पहले जैसा बना रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नई कंपनी के ढांचे, वेदांत रिसोर्सेस की भूमिका, डॉलर बॉन्ड के निवेशकों आदि को लेकर अभी भी कुछ अनिश्चितता और अनसुलझे सवाल हैं।’
वैश्विक वित्तीय फर्म सीएलएसए ने कहा कि वेदांत ने पिछले दशक के दौरान अपने समूह के ढांचे को सरल बनाने और कंपनियों को एक सूचीबद्ध इकाई में लाने का काम किया। लेकिन अब कंपनी के बोर्ड ने 6 अलग-अलग सूचीबद्ध इकाइयों में बांटने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।