करीब एक साल तक लगातार बिकवाली दबाव के बाद फ्लोटिंग दर वाले म्युचुअल फंडों (MF) की मांग एक बार फिर से बढ़ गई है।
पिछले तीन महीनों में, निवेशकों ने इन डेट योजनाओं में 6,100 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया है, जिससे इस श्रेणी में बड़े सकारात्मक बदलाव का संकेत मिला है, क्योंकि इसमें लगातार 11 महीने (मई 2022 से मार्च 2023 तक) बड़ी निकासी दर्ज की गई। यह बिकवाली बढ़कर 32,250 करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी।
फ्लोटिंग दर वाले म्युचुअल फंड उन योजनाओं में कम से कम 65 प्रतिशत निवेश करते हैं जिनमें ब्याज दरें आरबीआई की रीपो दर से जुड़ी होती हैं।
पिछले एक साल में फ्लोटिंग दर वाले म्युचुअल फंडों द्वारा लगभग अन्य सभी डेट श्रेणियों (क्रेडिट रिस्क फंडों को छोड़कर) के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किए जाने के बाद इनमें निवेश बढ़ना शुरू हो गया।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चला है कि कुछ योजनाओं ने एक साल की अवधि में 8 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिफल दिया। इनमें आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, फ्रैंकलिन टेम्पलटन और डीएसपी मुख्य रूप से शामिल थीं। यदि ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं तो अगले कुछ वर्षों में फ्लोटिंग दर वाले म्युचुअल फंड 7 प्रतिशत तक का प्रतिफल दे सकते हैं।
हालांकि विश्लेषकों का कहना हैकि यह मौजूदा ब्याज दर परिवेश में सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त साबित नहीं हो सकता है। ये योजनाएं दर वृद्धि चक्र के दौरान ज्यादा उपयुक्त मानी जाती हैं, क्योंकि इनमें ब्याज दर जोखिम को सहने की क्षमता होती है।
कॉरपोरेट प्रशिक्षक एवं स्तंभकार जॉयदीप सेन ने कहा, ‘दर वृद्धि का दौर बीत चुका है, जिसे ध्यान में रखते हुए इस श्रेणी पर ज्यादा जोर देना सही नहीं हो सकता है। लोग निवेशकों और फंड प्रबंधकों के बीच संवाद अंतर और इस श्रेणी की संरचना की वजह से इसमें नुकसान पहले भी उठा चुके हैं। प्रत्येक फंड प्रबंधक द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति को समझना और ऐसे फंड का चयन करना जरूरी है जो भविष्य में बेहतर प्रदर्शन के लिहाज से अच्छा हो।’
पिछली बार निवेशकों ने फ्लोटिंग दर के बॉन्डों पर ज्यादा दांव लगाए, लेकिन कई निवेशकों के लिए अनुभव अच्छा नहीं रहा।
विश्लेषकों का कहना है कि धारणा के विपरीत कई फ्लोटिंग रेट फंड ब्याज दर वृद्धि से नकारात्मक तौर पर प्रभावित हुए हैं। अगस्त के अंत तक, इस श्रेणी में 13 योजनाओं ने संयुक्त रूप से 63,400 करोड़ रुपये का संपत्ति प्रबंधन किया।