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Stubble Burning: कृषि अवशेष जलाने से बढ़ा ग्रीनहाउस गैस का एमिशन

अध्ययन में बताया गया है कि पंजाब में सबसे ज्यादा उत्सर्जन होता है। उसके कृषि क्षेत्र के 27 प्रतिशत हिस्से के अवशेष 2020 में जला दिए गए।

Published by
संजीब मुखर्जी   
सोहिनी दास   
Last Updated- September 27, 2023 | 10:46 PM IST

उत्तर भारत में पराली (Stubble Burning) जलाए जाने के सीजन के ठीक पहले भोपाल के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, एजूकेशन ऐंड रिसर्च (आईआईएसईआर) की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि 2011 से 2020 दशक के दौरान कृषि अवशेष जलाए जाने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी) में 75 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

अध्ययन में बताया गया है कि पंजाब में सबसे ज्यादा उत्सर्जन होता है। उसके कृषि क्षेत्र के 27 प्रतिशत हिस्से के अवशेष 2020 में जला दिए गए। उसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान आता है। मध्य प्रदेश दूसरा राज्य बनकर उभरा है जिसकी 2020 में भारत में कृषि अवशेष जलाए गए क्षेत्र में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

हालांकि पिछले कुछ साल में (खासकर 2021 से) फसल के अवशेष जलाने के मामले घटे हैं। केंद्र व राज्य सरकारों की दीर्घावधि रणनीति के कारण खासकर उत्तर भारत में खरीफ की फसल के अवशेष कम जलाए गए हैं, लेकिन यह पूरी तरह बंद नहीं हुआ है।

हरियाणा जैसे कुछ राज्यों ने आश्चर्यजनक रूप से पराली जलाने की घटना पर नियंत्रण हासिल किया है, जिसकी वजह वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाना, सब्सिडी वाली मशीनें मुहैया कराना, जुर्माने का प्रावधान और जागरूकता अभियान शामिल है।

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि ज्यादातर उत्सर्जन खरीफ सीजन के अंत में हुआ है, उसके बाद रबी का स्थान आता है। इसकी वजह धान व गेहूं की पराली जलाना है।

First Published : September 27, 2023 | 10:46 PM IST