कंपनी मामलों का मंत्रालय एमएसएमई के लिए तैयार की गई प्री-पैकेज्ड स्कीम को ज्यादा आकर्षक बनाने पर विचार कर रहा है, जिसे अब तक बहुत ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि प्रक्रिया को आसान बनाने और बैंकों के ज्यादा जागरूकता व एडवोकेसी सत्र चलाने के लिए ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई)को ज्यादा शक्तियां दिया जाना शामिल है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम प्री-पैकेज्ड स्कीम को एक नियामक ढांचे में डालने पर विचार कर रहे हैं। अभी इसमें बहुत आदेशात्मक तरीका अपनाया गया है। इसके हर कदम को परिभाषित किया गया है।’
2021 से अब तक सिर्फ 3 कंपनियों ने इस योजना का विकल्प चुना है।
सरकरा अब ज्यादा लचीला तरीका अपनाने और आईबीबीआई को बहुसंख्य मतों से जुड़ी जरूरतों के मुताबिक कदम उठाने की शक्ति देने के अलावा अन्य सहूलियतें देने पर विचार कर रही है, जिससे एमएसएमई को प्रीपैकेज्ड दिवाला योजना सहज हो सके।
सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि प्री-पैक प्रक्रिया की पहल के लिए मतदान को मौजूदा 66 प्रतिशत से घटाकर 51 प्रतिशत तक लाए जाने की जरूरत पर विचार हो रहा है। प्री-पैकेज्ड समाधान तेजी से काम करने वाली एक प्रक्रिया है, जिसमें राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट द्वारा प्रक्रिया में शामिल होने के पहले एक समाधान योजना चिह्नित की जाती है। यह एक व्यवस्था होती है, जहां दबाव वाली कंपनी के प्रमोटर अपने कर्जदाताओं के सामने एक समाधान योजना का प्रस्ताव करते हैं।
यह दिवाला प्रक्रिया के पहले किया जा सकता है। इस योजना का मकसद न सिर्फ समय से और तेज समाधान व्यवस्था देना है बल्कि बैंकों, प्रमोटरों और खरीदारों के बीच सहमति के लिए कानूनी रूप से वैध योजना पेश करना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्री पैक प्रक्रिया की पहल करने के लिए मौजूदा 66 प्रतिशत मतदान सीमा बहुत कड़ी शर्त है, जो एमएसएमई की राह में व्यवधान का काम करता है।
नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली में मानद प्रोफेसर और आईबीबीआई के पूर्व चेयरमैन एमएस साहू ने कहा, ‘ एक सामान्य कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया किसी कंपनी के परिसमापन पर समाप्त हो जाती है यदि उसे समाधान योजना नहीं मिलती है। 66 प्रतिशत की सीमा घटाकर एक तार्किक स्तर पर लाया जाना प्री-पैक के लिए एक प्रभावी विकल्प होगा।’
साहू ने यह भी कहा कि प्रीपैकेज्ड स्कीम बड़ी कंपनियो के साथ प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप फर्मों को भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिनके तहत 99 प्रतिशत से ज्यादा कारोबारी इकाइयां आती हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर एमएसएमई कंपनियों के लिए प्री-पैक अच्छा है तो यह सभी कंपनियों के लिए बेहतर है और यह सभी एमएसएमई के लिए बेहतर है। दबाव वाली एमएसएमई के लिए समाधान की जरूरत ज्यादा है क्योंकि वे उद्यमशीलता के लिए आधार तैयार करती हैं और इन्होंने कोविड के दौरान ज्यादा दबाव झेला है।’
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने प्री-पैकेज्ड स्कीम की संभावना का विस्तार बड़ी कंपनियों तक करने का भी प्रस्ताव किया है, वहीं वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि एनसीएलटी के बाहर त्वरित व्यवस्था भी प्री-पैकेज्ड स्कीम की तरह है और यह बड़ी कंपनियों के लिए उपलब्ध है।