लोकसभा ने गुरुवार को जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2023 (Jan Vishvas Bill) पारित कर दिया है। इसका मकसद छोटे आर्थिक अपराधों से जुड़े कानूनों को अपराधमुक्त कर कारोबार सुगमता का माहौल बनाना और व्यक्तियों व उद्योगों पर अनुपालन का बोझ कम करना है।
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा तैयार किए गए विधेयक में सरकार के 19 मंत्रालयों के तहत आने वाले 42 कानूनों के 183 प्रावधानों में संशोधन की मांग की गई है।
मौजूदा कानून में अर्थदंड के साथ जेल की सजा का प्रावधान
मौजूदा कानून में छोटे और प्रक्रियागत चूक में कम जुर्माने व अर्थदंड के साथ जेल की सजा का प्रावधान है। इसकी वजह से सरकार को लेकर अविश्वास और भय पैदा होता है। इन बदलावों का मकसद अनावश्यक रूप से जेल की सजा न देना और जरूरत पड़ने पर ज्यादा जुर्माना व अर्थदंड लगाना है।
न्यायालय से दंड देने से बचा जा सकेगा
विधेयक के मुताबिक जेल व जुर्माने की सजा को हटाकर इसे अपराधमुक्त करने, जेल की सजा खत्म करने व जुर्माना बहाल रखने या बढ़ाने का प्रस्ताव है। जुर्माने को अर्थदंड में बदलने का मतलब यह है कि न्यायालय से दंड देने से बचा जा सकेगा। यह विधेयक निम्न सदन में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया था। अब इसे राज्यसभा में पारित किया जाएगा। उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से यह कानून बन जाएगा।
लोकसभा में गोयल ने कहा कि करीब 40,000 प्रावधान और प्रक्रियाएं ऐसी हैं, जिससे लोगों को परेशानी होती थी, उसे पिछले 9 साल में या तो सरल किया गया है या उसे खत्म कर दिया गया है।
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2022 लोकसभा में 22 दिसंबर 2022 को पेश किया गया था यह विधेयक दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया। यह रिपोर्ट 20 मार्च 2023 को लोकसभा में पेश की गई। संयुक्त समिति ने विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा डर की बड़ी वजह है, जो कारोबार में वृद्धि के माहौल को प्रभावित कर रहा है।