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DGCA ने अदालत से कहा, उड़ान रद्द होने के कोई सबूत नहीं, Akasa Air की अर्जी खारिज करें

आकाश ने अदालत से कहा था कि कंपनी हर दिन 24 उड़ानें रद्द कर रही है और रोजाना 120 उड़ानों का संचालन कर रही है।

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- September 24, 2023 | 10:17 PM IST

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा है कि आकाश एयर ने 43 पायलटों के अचानक इस्तीफे के कारण उड़ानों के रद्द होने का कोई सबूत नहीं पेश किया है।

नागरिक उड्डयन नियामक ने स्पष्ट तौर पर इस बात से इनकार किया है कि याची कंपनी (आकाश एयर) ने पायलटों के इस्तीफे सौंपने के परिणामस्वरूप उड़ानों के रद्द होने के संबंध में प्रतिवादी नंबर 1 (डीसीजीए) को कोई दस्तावेज नहीं सौंपा है और कारण भी नहीं बताया है।

यह बीते मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में आकाश एयर के उस बयान के विपरीत है जिसमें उसने कहा था कि 43 पायलटों के इस्तीफे के कारण उसने 1 अगस्त से लेकर 19 सितंबर तक 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द की हैं।

आकाश ने अदालत से कहा था कि कंपनी हर दिन 24 उड़ानें रद्द कर रही है और रोजाना 120 उड़ानों का संचालन कर रही है। इसका मतलब है कि एक महीने में 20 फीसदी उड़ानें रद्द हो रही हैं। हालांकि, डीजीसीए ने कहा कि आकाश द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अगस्त महीने में कंपनी की 1.17 फीसदी उड़ानें रद्द हुई थीं।

नियामक ने कहा कि विमानन कंपनी की मासिक यातायात आंकड़ों के अनुसार, तकनीकी, वाणिज्यिक, परिचालन, प्रतिकूल मौसम की स्थिति और विविध कारणों से उड़ान रद्द होने का विवरण है। इसके अलावा पायलटों की कमी के कारण उड़ानों के रद्द होने की कोई जानकारी नहीं है।

विमानन कंपनी ने अदालत को बताया था कि अगर इस्तीफों का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो उसे सितंबर में करीब 600-700 उड़ानें रद्द करनी पड़ेगी। विमानन कंपनी के वकील ने अदालत से नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को अनिवार्य नोटिस अवधि के संबंध में मियमों को लागू करने का अधिकार देने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘हम पहले ही अगस्त महीने में 600 उड़ाने रद्द कर चुके हैं।’

डीजीसीए ने अदालत को बताया कि अनिवार्य नोटिस अवधि के नियमों को एक अन्य मामले में चुनौती दी गई है जो उसी अदालत में लंबित है और इसने डीजीसीए को ‘पार्टियों’ पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने से रोक दिया है।

इसमें कहा गया है कि पार्टियां रोजगार अनुबंध में अपनी आपसी समझ के अनुसार अपनी नोटिस अवधि तय करने के लिए स्वतंत्र हैं और डीजीसीए की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

First Published : September 24, 2023 | 10:17 PM IST