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निर्यातकों की आईईएस योजना आगे बढ़ाने की मांग

सरकार ने योजना की अवधि बढ़ाने पर कोई भी फैसला करने से पूर्व इससे निर्यातकों को पहुंचे रहे फायदे का आकलन करना शुरू कर दिया है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- April 29, 2024 | 11:13 PM IST

निर्यातकों ने सरकार से इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम (IES) को जारी रखने की मांग की है। यह योजना उच्च ब्याज दरों और सपाट निर्यात से जूझ रहे छोटे निर्यातकों को मदद मुहैया कराने के लिए शुरू की गई है। यह योजना 30 जून को समाप्त हो रही है।

योजना के अंतर्गत बैंक निर्यातकों को कम ब्याज दरों पर ऋण मुहैया करवाते हैं और बैंक को इसके बदले सरकार से मुआवजा मिल जाता है। आईईएस योजना की शुरुआत एक दशक पूर्व की गई थी। इसका मकसद निर्यातकों पर दबाव कम करना था और यह योजना विशेषकर श्रम आधारित लघु, छोटे व मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए थी।

सरकार ने योजना की अवधि बढ़ाने पर कोई भी फैसला करने से पूर्व इससे निर्यातकों को पहुंचे रहे फायदे का आकलन करना शुरू कर दिया है।

निर्यातकों के शीर्ष निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने सोमवार को बताया कि भारत में अन्य देशों की तुलना में ब्याज दर अधिक है और यह योजना भारतीय निर्यातकों, विशेषतौर पर एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करती है।

फियो के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने बताया, ‘भारत में ब्याज दर 6.5 फीसदी है जबकि यह ज्यादातर एशिया की अर्थव्यवस्थाओं में करीब 3.5 फीसदी है। अन्य देशों की तुलना में भारत में आमतौर पर उधारी की लागत 5 से 6 फीसदी अधिक है।’

फियो के अध्यक्ष ने बताया कि समुद्र व हवाई मार्ग से सामान की आवाजाही की लागत बढ़ने के कारण निर्यातक अधिक उधारी की की गुंजाइश देख रहे हैं और यह योजना अभी भी प्रासंगिक है।

उन्होंने कहा, ‘जब छूट घटाई गई थी, उस वक्त रीपो दर 4.4 फीसदी थी और अब रीपो दर बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई है। लिहाजा विनिर्माता एमएसएमई के लिए ब्याज दरों में छूट को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 फीसदी किया जा सकता है और 410 टैरिफ लाइन पर 2 से 3 फीसदी तक किया जा सकता है। यह ब्याज छूट को क्रमश 5 फीसदी और 3 फीसदी के मूल स्तर पर बहाल करने को जायज ठहराएगा और हमारे निर्यातकों को अनिवार्य प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान करेगा।’

अभी 410 चिह्नित उत्पादों के कुछ विनिर्माताओं और वस्तु निर्यातकों के लिए ब्याज दर का इक्वलाइजेशन 2 फीसदी है और एमएसएमई विनिर्माताओं के लिए 3 फीसदी है। इस योजना के लिए बजट में 9,538 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।

First Published : April 29, 2024 | 10:53 PM IST