विदेश में त्योहारी सीजन खासकर क्रिसमस के लिए देश से बड़े पैमाने पर हस्तशिल्प यानी हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का निर्यात किया जाता है। इस साल कुछ उत्पादों की निर्यात मांग कमजोर है तो कुछ की मजबूत है।
पीतल नगरी मुरादाबाद और सहारनपुर के काष्ठकला उद्योग को निर्यात के कम ऑर्डर मिले हैं मगर भदोही के कालीन और कन्नौज के इत्र की इस साल विदेश में जबरदस्त मांग है।
पीतल नगरी के नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से बड़े पैमाने पर हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का निर्यात किया जाता है।
द हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव सतपाल कहते हैं कि रूस-यूक्रेन तनाव अभी कम भी नहीं हुआ था कि इजरायल और हमास के बीच जंग छिड़ गई है। अमेरिका और यूरोप के आर्थिक हालात पहले ही खराब हैं। ऐसे में मुरादाबाद के निर्यातक ऑर्डर के लिए तरस गए।
गिफ्ट के मामले में हैंडीक्राफ्ट उत्पाद लक्जरी श्रेणी में आते हैं। आर्थिक हालात खराब हों तो लोग इन्हें खरीदने से परहेज करते हैं। लिहाजा मुरादाबाद के पीतल उत्पादों की मांग भी घटी है।
सतपाल ने कहा कि इस साल मुरादाबाद से 6,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है। पिछले साल यह आंकड़ा 8,000 करोड़ रुपये था। पिछले साल भी इसमें गिरावट आई थी। मुरादाबाद के ही निर्यातक अजय कुमार गुप्ता कहते हैं कि जंग के हालात में निर्यात बाजार से ग्राहक गायब हो रहे हैं। इस बार पिछले साल से आधा भी निर्यात हो जाए तो बड़ी बात होगी। गाजा पट्टी के हालात देखते हुए लगता है कि अगले साल भी निर्यात ऑर्डर कम ही मिलने वाले हैं।
मगर मुरादाबाद के पीतल कारोबारियों का कहना है कि नवरात्र पर देसी बाजार के लिए पीतल का पूजा का सामान खूब बिका। पीतल कारोबारी जीशान अली बताते हैं कि विदेशों में होने वाली बड़ी खेल प्रतियोगिताओं के लिए ट्रॉफी तैयार करने का काम भी एक अरसे से मुरादाबाद में होने लगा है। इसके लिए ऑर्डर मिल रहे हैं।
सहारनपुर में लकड़ी से बने हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की भी क्रिसमस पर गिफ्ट के रूप मांग रहती है। सहारनपुर के निर्यातक जावेद इकबाल कहते हैं कि क्रिसमस पर लकड़ी से बने ट्री, की हैंगर, कैंडल लैंप, जूलरी बॉक्स, मिरर फ्रेम जैसे लकड़ी के सजावटी सामान की मांग रहती है।
मगर इस साल सहारनपुर के काष्ठ कला निर्यातकों को ऑर्डर कम मिले हैं और निर्यात में 20 फीसदी से अधिक कमी आ सकती है। हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में करीब 7,600 करोड़ रुपये मूल्य के
वुडवेयर उत्पादों का निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष में करीब 15 फीसदी गिरावट देखी जा रही है।
त्योहारी सीजन में कालीन कैपिटल कहलाने वाले भदोही जिले में भी रौनक नजर आ रही है। पिछले दिनों भदोही में अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले का आयोजन हुआ, जहां 68 देशों के 450 से ज्यादा खरीदार पहुंचे।
कालीन निर्यातकों का कहना है कि उनके लिए सीजन की शुरुआत जुलाई से होती है जो क्रिसमस और नए साल के दौरान चरम पर पहुंच जाता है। देश भर से होने वाले कुल कालीन निर्यात का 60 फीसदी उत्तर प्रदेश के भदोही से ही होता है, जहां से 200 से ज्यादा निर्यातक यूरोप और अमेरिका में अपना माल भेजते हैं।
भदोही के कालीन निर्माताओं का कहना है कि पिछले साल यहां से करीब 14,000 करोड़ रुपये का माल विदेशों में भेजा गया था। वर्ष 2020-21 में 13,810 करोड़ रुपये के कालीन दुनिया भर में भेजे गए थे। इस साल भदोही से 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कालीन निर्यात की संभावना है।
निर्यातकों का कहना है कि क्रिसमस के लिए ऑर्डर अभी से आने लगे हैं और मांग देखते हुए लगता है कि इस साल निर्यात का नया रिकॉर्ड बन जाएगा। कालीन निर्यातक मुशाहिद हसन का कहना है कि कोविड के दौरान भी कालीन उद्योग को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। उन दिनों ऑनलाइन कालीन मेलों का आयोजन होता रहा और इंटरनेट के जरिये ऑर्डर भी आते रहे।
उनका कहना है कि इस साल नोएडा में आयोजित इंटरनेशनल ट्रेड शो ने कालीन उद्योग में और भी जान फूंकी है और बड़ी तादाद में विदेशी खरीददारों ने भदोही के हाथ के बुने कालीन पसंद किए तथा ऑर्डर दिए।
त्योहारों की रौनक उत्तर प्रदेश में देसी इत्र के लिए मशहूर शहर कन्नौज में भी दिखाई दे रही है। वहां के कारोबारियों को विदेशी के साथ ही देसी बाजारों से भी भरपूर ऑर्डर मिल रहे हैं। कन्नौज में करीब 200 इत्र निर्माता काम कर रहे हैं और इनमें से आधे निर्यात कारोबार से जुड़े हुए हैं।
कोविड के दिनों में तो कन्नौज से इत्र का निर्यात नहीं के बराबर रहा था मगर इस साल फरवरी में वहां हुए इंटरनेशनल इत्र फेस्टिवल के बाद धंधे ने जोर पकड़ा है। हाल ही के दिनों में कन्नौज के साथ इजिप्ट के तार भी जुड़ गए हैं। इजिप्ट के निर्माता कन्नौज में आकर इत्र बनाने की तकनीक सीख रहे हैं और वहां कन्नौज का इत्र महकाने की तैयारी है।
कन्नौज के इत्र व्यापारी आदेश कुमार अग्रवाल बताते हैं कि इस साल यूरोप से सबसे ज्यादा ऑर्डर मिले हैं और वह भी गिफ्ट पैक की छोटी शीशियों वाले ऑर्डर हैं।
उनका कहना है कि रमजान के मौके पर तीन सालों के बाद पश्चिम एशिया से भरपूर ऑर्डर मिले थे और अब क्रिसमस व नए साल को देखते हुए विदेशों खासकर यूरोप और अमेरिका से ऑर्डर आ रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार देसी-विदेशी बाजार को मिलाकर इत्र के कुल कारोबार में पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल सकता है।
कन्नौज में इत्र बनाने की कुल 422 छोटी-बड़ी इकाइयां हैं, जिनका सालाना कारोबार करीब 1,250 करोड़ रुपये है। हालांकि इसके बाद भी कन्नौज से इत्र का निर्यात उस मात्रा में नहीं रहा है। कारोबारियों का कहना है कि 2014 में जीआई टैग मिलने के बाद इत्र के निर्यात ने कुछ तेजी पकड़ी है।
कन्नौज से साल 2020 में महज 10 करोड़ रुपये का इत्र निर्यात हुआ था, जो 2021 में बढ़कर 31 करोड़ रुपये हो गया था। बीते साल यहां से 40 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। इस साल मांग को देखते हुए आंकड़ा 50 करोड़ रुपये पार जाने की उम्मीद बंधी है।