आज का अखबार

Chandrayaan 3: भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर संभावित सॉफ्टलैंडिंग करने के अंतरिक्ष यान के लक्ष्य से पहले सबसे जरूरी कदमों में से एक था।

Published by
शाइन जेकब   
Last Updated- August 07, 2023 | 1:52 AM IST

‘मॉक्स, इस्ट्रैक, मैं चंद्रयान 3 हूं। मुझे चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण महसूस हो रहा है।’ जैसे ही बेंगलूरु के इस्ट्रैक (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग ऐंड कमांड नेटवर्क) स्थित मिशन ऑपरेशन्स कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) को शनिवार की शाम 7.12 बजे चंद्रयान 3 से यह संदेश मिला, भारत ने चंद्रमा की कक्षा में तीसरी बार सफलतापूर्वक अपने उपग्रह को स्थापित करते हुए एक इतिहास रच दिया। यह पृथ्वी से भेजे गए कृत्रिम उपग्रह का 140वां मिशन है।

23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर संभावित सॉफ्टलैंडिंग करने के अंतरिक्ष यान के लक्ष्य से पहले सबसे जरूरी कदमों में से एक था। अगर ऐसा हो जाता है भारत ऐसा करने वाले उन विशिष्ट देशों में शामिल हो जाएगा। अब तक ऐसा करने वाले देश सिर्फ अमेरिका, सोवियत संघ और चीन हैं।

वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी बमुश्किल 2 फीसदी

इसको लेकर निजी क्षेत्र काफी उत्साहित दिख रहा है क्योंकि चंद्रयान 3 से भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की संभावना है। अभी लगभग 8 अरब डॉलर की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के साल 2040 तक 40 अरब डॉलर से अधिक रहने की उम्मीद है। सरकारी अनुमानों के अनुसार, 360 अरब डॉलर की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी बमुश्किल 2 फीसदी के करीब है।

इंडियन स्पेस एसोसिएशन के सेवानिवृत्त महानिदेशक एके भट्ट ने कहा, ‘मुझे अत्यंत खुशी है और मैं गर्व महसूस कर रहा हूं कि चंद्रयान मिशन अब तक योजना के मुताबिक है। यह सभी चरण हैं और हम निश्चित रूप से अंत में इसे सफल होते हुए देखेंगे। यह हम सभी भारतवासियों के लिए गर्व की बात है। यह निजी उद्योग के लिए भी कई अवसरों में से एक है। अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की वृद्धि को चंद्रयान अभियान से रफ्तार मिलेगी।’

23 अगस्त को चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी

अब मिशन का सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव कक्षा में रहते हुए लैंडर से प्रोपल्शन मॉड्यूल को अलग करना है। 1 अगस्त को चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से एक सफल चाल के साथ चंद्रमा की ओर बढ़ा। इसरो ने बयान में कहा, ‘जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ रहा है, चंद्रयान 3 की गति को धीरे-धीरे कम करते हुए उसे चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना है। कुछ समय बाद कक्षा में रहते हुए ही लैंडर से प्रॉप्लशन मॉड्यूल अलग हो जाएगा और उसके बाद 23 अगस्त को चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी।’

इन चार देशों के अलावा जापान, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, लक्जमबर्ग, इजरायल, इटली, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात ने भी अब तक चंद्रमा मिशन आयोजित किए हैं। इंडियन स्पेस एसोसिएशन के आंकड़ों से पता चलता है कि चंद्रमा पर अब तक करीब 140 मिशन लॉन्च किए गए हैं। इनमें नौ मानव मिशन और 12 अमेरिकी पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों ने साल 1968 से 1072 के बीच चंद्रमा पर पहुंचे थे।

नासा और अन्य देशों द्वारा तैयार किया जा रहा आर्टेमिस कार्यक्रम का लक्ष्य साल 2025 तक इंसानों को चंद्रमा पर वापस लाना है और मंगल ग्रह के साथ उससे आगे तक अंतरिक्ष अन्वेषण का विस्तार करना है। आर्टेमिस समझौता अमेरिकी सरकार और कार्यक्रम में शामिल अन्य सरकारों के बीच एक गैर-बाध्यकारी करार है। इसे चंद्रमा पर पहली महिला और 13वें पुरुष अंतरिक्ष यात्री को भेजने के उद्देश्य से साल 2017 में अमेरिका ने शुरू किया था।

आर्थर डी. लिटल के मैनेजिंग पार्टनर (भारत और दक्षिण एशिया ) बार्निक चित्रन मैत्रा ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में कहा था, ‘अंतरिक्ष पर बढ़ते सरकारी खर्च, देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से बढ़ते निजी निवेश और वाणिज्यिक अंतरिक्ष उद्यमों को प्रोत्साहित करने वाली सरकारी नीतियों के कारण भारतीय अंतरिक्ष उद्योग एक जबरदस्त बदलाव के दौर में है।

भारत निजी कंपनियों के लिए बेहतर निवेश अवसरों के साथ-साथ एक आकर्षक बाजार बन रहा है और इसरो अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का एक उम्दा प्रतिनिधि है।’ आर्थर डी लिटल के अनुसार, साल 2040 तक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था एक अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

इसने कहा है, ‘भारत का अंतरिक्ष बाज़ार आज करीब 8 अरब डॉलर का है और हाल के वर्षों में 4 फीसदी की दर से सालाना बढ़ रहा है। भारत सरकार का लक्ष्य साल 2030 तक वैश्विक उद्योग में 9 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने का है। इसी रफ्तार से अगर आगे वृद्धि बरकरार रहती है तो भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2040 तक 40 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है। हालांकि, भारत के पास वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी हिस्सेदारी का दावा करने की भी क्षमता है।’

First Published : August 7, 2023 | 1:52 AM IST