येस बैंक में 9.99-9.99 फीसदी हिस्सेदारी लेने वाले प्राइवेट इक्विटी दिग्गज कार्लाइल समूह और एडवेंट इंटरनैशनल निजी बैंक को पूरा सहयोग दे रहे हैं और पीई कंपनियों की तरफ से वॉरंट का विकल्प चुने जाने पर गिरावट का कोई जोखिम नहीं है। येस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ प्रशांत कुमार ने सोमवार को एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में ये बातें कही।
सोमवार को कारोबारी सत्र के दौरान येस बैंक का शेयर 12.37 फीसदी तक टूट गया था, लेकिन अंत में 8.33 फीसदी गिरकर बंद हुआ जबकि भारी वॉल्यूम के कारण बाजार में मजबूती थी। इसका कारण कमजोर तिमाही नतीजे (वित्त वर्ष 23 तीसरी तिमाही) और बंबई उच्च न्यायालय का फैसला था। बैंक का शेयर बीएसई पर 18.15 रुपये पर बंद हुआ।
शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय ने येस के प्रशासक के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसके तहत बैंक का 8,400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टियर-1 बॉन्ड बट्टे खाते में डाला जाना था। ये बॉन्डधारकों व खुदरा निवेशकों के पास थे, जब बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक की अगुआई वाली योजना के तहत साल 2020 में बचाया गया था जब उसके संस्थापकों पर कथित गड़बड़ी के आरोप लगे थे।
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, लगता है कि प्रशासक ने एटी-1 बॉन्ड को बट्टे खाते में डालने में अपनी शक्तियों का ज्यादा इस्तेमाल कर लिया, जब बैंक को 13 मार्च 2020 को पुनर्गठित किया गया। प्रशांत कुमार ने टीवी चैनल से कहा, हम न्यायालय के फैसले से चिंतित नहीं हैं, बल्कि हमें आश्चर्य हुआ है। कुमार से यह पूछे जाने पर कि अदालत के आदेश के बाद क्या आपने दोनों पीई निवेशक से बात की है तो उन्होंने कहा, कार्लाइल व एडवेंट पूरी तरह से सहयोग करने वाले हैं और वॉरंट का विकल्प चुने जाने पर गिरावट का कोई जोखिम नहीं है।
वे पूरी तरह से बैंक के साथ हैं और वे हमारी यात्रा में साथ बने रहेंगे और सहयोग जारी रखेंगे। वे देखना चाहेंगे कि बैंक आगे बढ़ रहा है। साथ ही बैंक को लेकर उनकी रणनीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
एटी-1 बॉन्ड परपेचुअल बॉन्ड होते हैं, ऐसे में इसमें कॉल ऑप्शन चुनने की स्वविवेक की शक्ति बैंक के पास है। साथ ही इन बॉन्डों पर ब्याज चुकाने का स्वविवेक भी बैंक के पास है, उन मामलों को छोड़कर जहां बैंक इक्विटीधारकों को लाभांश का भुगतान कर रहा है। कुमार ने कहा, हम बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जल्द से जल्द सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
दोनों प्राइवेट इक्विटी फंडों ने कुल मिलाकर करीब 8,887
करोड़ रुपये निवेश पर सहमति जताई है, जिसमें वॉरंट को इक्विटी में पूरी तरह से तब्दील करने वाली रकम शामिल है। बैंक ने 2 रुपये वाले कुल 3.7 अरब शेयर 13.78 रुपये के भाव पर आवंटित किए हैं और 2.56 अरब शेयर वॉरंट (इक्विटी शेयर में तब्दील किए जाने वाले) जारी हुए हैं। ये तरजीही आधार पर सीए बास्क्यू इन्वेस्टमेंट्स (कार्लाइल समूह की इकाई) और वरवेंटा होल्डिंग्स लिमिटेड (एडवेंट समूह की इकाई) को आवंटित हुए हैं। हर वॉरंट को 14.82 रुपये की कीमत पर इक्विटी शेयर में बदला जा सकता है।
इक्विटी शेयर के लिए दोनों प्राइवेट इक्विटी कंपनियां पिछले महीने 2,546.65-2,546.65 करोड़ रुपये दे चुकी हैं। शेयर वॉरंट के लिए दोनों की तरफ से 1,896.78-1,896.78 करोड़ रुपये चुकाए जाने हैं, जिसमें से 479.19-479.19 करोड़ रुपये आवंटन के समय अग्रिम दिए जा चुके हैं। बाकी 75 फीसदी रकम वॉरंट को इक्विटी में बदलने और उसके आवंटन के समय बैंक को दिए जाएंगे।
बैंक की तीसरी तिमाही नतीजे के बाद कुमार ने मीडिया से कहा था कि उच्च न्यायालय के फैसले का कुल पूंजी पर्याप्तता अनुपात पर असर नहीं होगा। मुश्किल परिदृश्य में जब एटी-1 बॉन्ड रीस्टोर होता है तो कॉमन इक्विटी टियर-1 नीचे आ सकता है और एटी-1 ऊपर जाएगा।