इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों ने भारी उद्योग मंत्रालय से संपर्क किया है। उन्होंने वाहनों और वाहन कलपुर्जों के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत स्थानीयकरण की गणना में इलेक्ट्रिक मोटरों को शामिल करने से छूट मांगी है। साथ ही उन्होंने पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट योजना के तहत सब्सिडी की पात्रता के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के स्थानीयकरण की आवश्यकता से भी छूट मांगी है।
एक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पीएलआई योजना की पात्रता के लिए वित्तीय प्रोत्साहन हासिल करने के वास्ते 50 प्रतिशत के घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) स्तर तक पहुंचना जरूरी होता है। इन प्रोत्साहन की सीमा 13 से 16 प्रतिशत तक रहती है। हालांकि अब जब हमने स्थानीय असेंबली बंद कर दी है और पूरी मोटर चीन से आयात कर रहे हैं तो डीवीए की सीमा पूरी करना असंभव है। हमने चीन के साथ हालात का समाधान होने तक अस्थायी छूट का अनुरोध किया है।’
पीएमपी योजना के तहत भी ऐसी ही चुनौती है जिसके तहत सब्सिडी के लिए स्थानीय मोटर असेंबली अनिवार्य है। यह सब्सिडी मार्च 2026 के अंत तक प्रति वाहन लगभग 5,000 रुपये है। अधिकारी का कहना है कि अगर मोटर आयात की जाती है तो सब्सिडी नहीं मिलेगी।
दोपहिया कंपनियों का तर्क है कि आयात में इस बदलाव से कुल उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। अधिकारी ने कहा, ‘कीमत में यह वृद्धि मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) द्वारा वॉल्यूम के आधार पर अलग-अलग होती है। साथ ही इन मोटरों को विभिन्न मॉडलों के अनुरूप किया जाना चाहिए और इन वाहनों का भारतीय एजेंसियों से परीक्षण होना जरूरी है। इसलिए वाहनों के सड़क पर आने में अब भी दो से तीन महीने की देरी होगी।’