facebookmetapixel
खरीदारी पर श्राद्ध – जीएसटी की छाया, मॉल में सूने पड़े ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरएयरपोर्ट पर थर्ड-पार्टी समेत सभी सेवाओं के लिए ऑपरेटर होंगे जिम्मेदार, AERA बनाएगा नया नियमकाठमांडू एयरपोर्ट से उड़ानें दोबारा शुरू, नेपाल से लोगों को लाने के प्रयास तेजभारत-अमेरिका ट्रेड डील फिर पटरी पर, मोदी-ट्रंप ने बातचीत जल्द पूरी होने की जताई उम्मीदApple ने उतारा iPhone 17, एयर नाम से लाई सबसे पतला फोन; इतनी है कीमतGST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियांमोलीकॉप को 1.5 अरब डॉलर में खरीदेंगी टेगा इंडस्ट्रीज, ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगा कदGST 2.0 से पहले स्टॉक खत्म करने में जुटे डीलर, छूट की बारिशEditorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौती

Telecom Bill में OTT का जिक्र नहीं, रेगुलेटर TRAI के पास पावर रहेगी बरकरार

बिल के पिछले मसौदे ने WhatsApp, Signal, Zoom, Skype, Google और Telegram जैसी OTT सर्विसेज को शामिल करने के लिए दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा में विस्तार किया था

Last Updated- December 18, 2023 | 3:44 PM IST
Telecom Bill drops OTT reference, retains regulator Trai's powers

संसद के शीतकालीन सत्र में आज टेलीकॉम बिल का लेटेस्ट ड्रॉफ्ट पेश किया जा सकता है, लेकिन इसने टेलीकॉम सर्विसेज की परिभाषा से ओवर द टॉप (OTT) सर्विसेज की स्पेशिफिक चर्चा को हटा दिया है। इससे सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन का रास्ता भी साफ हो गया है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा रिव्यू किए गए ड्रॉफ्ट में दूरसंचार सेवाओं को ‘दूरसंचार के लिए कोई भी सेवा’ (service for telecommunications) के रूप में परिभाषित किया गया है।

पिछले ड्रॉफ्ट में OTT सर्विसेज को शामिल करने के लिए लिया गया था ऐक्शन

हालांकि पहली बार पेश हुए यानी बिल के पिछले मसौदे ने WhatsApp, Signal, Zoom, Skype, Google और Telegram जैसी OTT सर्विसेज को शामिल करने के लिए दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा में विस्तार किया था और उन्हें शामिल किया था जो (वाइस या वीडियो) कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाएं प्रदान करते हैं। इसके बाद, इन इंटरनेट-बेस्ड सर्विस प्रोवाइडर्स को अन्य दूरसंचार कंपनियों के बराबर ही नियमों के अधीन होना पड़ा।

इसमें मशीन टु मशीन कम्युनिकेशन, इन-फ्लाइट और मरीन कनेक्टिविटी सहित स्पेशलाइज्ड कम्युनिकेशन सर्विसेज की एक वाइड रेंज के बीच OTT सर्विसेज का विशेष रूप से उल्लेख किया गया था।

इस परिभाषा को एयरटेल और रिलायंस जियो जैसे टेलीकम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स ने आगे बढ़ाया था और कहा था कि उन्हें एक बराबर मौका देने की जरूरत है। क्योंकि OTT कम्युनिकेशन्स और सैटेलाइट बेस्ड सर्विस ऑफर लाइसेंस या स्पेक्ट्रम के भुगतान के बिना ऑडियो और वीडियो कॉल और मैसेजिंग की पेशकश करती हैं।

अधिकारियों ने पहले कहा था कि केंद्र का उद्देश्य केवल उन कम्युनिकेशन ऐप्स को रेगुलेट करना है जो ‘दूरसंचार ऑपरेटरों के बराबर सर्विस देते हैं’। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले कहा था कि DoT ऐसे OTT ऐप्स के लिए ‘लाइट-टच’ रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का विकल्प चुनेगा।

स्पष्टता की कमी के कारण Netflix, Amazon Prime और Hotstar जैसे विभिन्न OTT ऐप्स ने चिंता जताई थी। ऐसी भी चिंताएं थीं कि Zomato और Swiggy जैसे ऐप्स को रेगुलेट किया जा सकता है।

First Published - December 18, 2023 | 3:40 PM IST

संबंधित पोस्ट