मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) के मालिकाना हक वाली Meta का सपना मोबाइल ऐप की दुनिया में अपनी बादशाहत को बरकरार रखने का है। इसके लिए Meta किसी दूसरे ऐप के फीचर्स को कॉपी करने और अपने विभिन्न प्लेटफॉर्म में उस फीचर्स को जोड़ने से भी परहेज नहीं करती है। TikTok से प्रेरित फीचर्स Instagram में रील्स के रूप में दिखता है। Snapchat से प्रेरित फीचर्स Facebook और Instagram में स्टोरी के रूप में जोड़ दिया गया। लेकिन Twitter को टक्कर देने के लिए Meta ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है। इस बार वह Twitter के फीचर्स को अपने पहले से मौजूद किसी ऐप में जोड़ने नहीं जा रही है बल्कि Twitter का मुकाबला करने के लिए जल्द ही एक नया ऐप लॉन्च करने जा रही है।
अफवाहों के बाजार में कई दफा यह खबर सुनने को मिली कि Meta कई वर्षों से Twitter का मुकाबला करने के लिए एक ऐप बनाने में जुटी है। हाल ही में, एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि Meta अपने प्रतिद्वंद्वी Twitter के जैसा ऐप बनाने के बहुत करीब है। हालांकि अभी इस ऐप के नाम से पर्दा नहीं उठाया गया है। इस नए ऐप का कोडनेम “प्रोजेक्ट 92” है। इस दावे के सामने आने के बाद ट्विटर के नए CEO लिंडा याकारिनो (Linda Yaccarino) ने “गेम ऑन” कहकर जवाब दिया।
एक स्क्रीनशॉट सामने आया है, जो Meta के नए ऐप के इंटरफेस की झलक दिखलाता है। स्क्रीनशॉट से ऐसा प्रतीत होता है कि Meta यूजर्स को अपनी Facebook या Instagram ID से लॉग इन करने देगा, जिससे यूजर्स को नई ID बनाने की परेशानी से बचाया जा सकेगा। यूजर्स अपने विचारों को ट्विटर-स्टाइल प्रॉम्ट में शेयर कर सकते हैं, जबकि अन्य यूजर्स विद कॉमेंट या विदआउट कॉमेंट (सीधे शब्दों में कहे तो रीट्वीट) के रूप में लाइक कर सकते हैं, कॉमेंट कर सकते हैं और शेयर कर सकते है। स्क्रीनशॉट आगे बताता है कि यूजर्स एक थ्रेड भी बना सकेंगे।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि Twitter से प्रेरित Meta ऐप यूजर्स की जानकारी को पॉप्युलेट करने के लिए Instagram अकाउंट सिस्टम का उपयोग करेगा। बैठक के दौरान, Meta के मुख्य उत्पाद अधिकारी (CPO) क्रिस कॉक्स (Chris Cox) ने कथित तौर पर कहा कि कंपनी पहले से ही ओपरा (Oprah) और दलाई लामा (Dalai Lama) जैसी प्रमुख हस्तियों के साथ काम कर रही थी ताकि “प्रोजेक्ट 92” ऐप को ट्राई करने के लिए दूसरों को आकर्षित किया जा सके।
भारत सरकार और Twitter के बीच तकरार शुरू हुई तो Twitter का मुकाबला करने के लिए इसके देशी वर्जन Koo ऐप को 2020 में मार्च में लॉन्च किया गया था। Koo की शुरुआत अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावत ने की थी, ताकि यूजर्स को अपनी बात कहने और भारतीय भाषाओं के मंच के साथ जुड़ने का अवसर मिल सके। यह हिंदी, तेलुगु और बंगाली सहित कई भाषाओं में उपलब्ध है। हालांकि शुरुआती सफलता के बाद यह ऐप कुछ खास नहीं कर सका है।