प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
मारुति सुजूकी इंडिया के वरिष्ठ कार्याधिकारी (कॉर्पोरेट मामले) राहुल भारती ने आज कहा कि अगर आने वाले कैफे-3 नियमों के तहत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन लक्ष्य ‘अवैज्ञानिक और अनुचित’ हैं तो 909 किलोग्राम से कम वजन वाली कारों को बंद करना होगा।
कैफे (कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी) का ढांचा औसत कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन लक्ष्य तय करता है, जिसे हर वाहन विनिर्माता के बेड़े को पूरा करना होगा। इसे ग्राम प्रति किलोमीटर में मापा जाता है। अगर कोई कंपनी अपना लक्ष्य पूरा करने में नाकाम रहती है, तो ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) कड़ा जुर्माना लगा सकता है।
बीईई ने जून 2024 में कैफे-3 नियमों का अपना पहला मसौदा जारी किया था। इसे वित्त वर्ष 28 और वित्त वर्ष 32 के बीच लागू होना है। देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता और छोटी कारें बेचने वाली सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी ने इस साल की शुरुआत में बीईई से संपर्क किया था और वजन के आधार पर छूट के जरिये छोटी कारों के लिए राहत मांगी थी। इस कदम से उद्योग में काफी मतभेद हो गए।
इस साल 25 सितंबर को बीईई ने पहली बार वजन के आधार पर छूट को शामिल करते हुए संशोधित मसौदा जारी किया। इस बदले हुए मसौदे के अनुसार 909 किलोग्राम तक वजन की पेट्रोल वाली गाड़ियों, जिनकी इंजन क्षमता 1,200 सीसी से कम और लंबाई 4,000 मिलीमीटर से कम हो, उन्हें बताए गए कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 3ग्राम प्रति किलोमीटर की अतिरिक्त छूट मिलेगी।
भारती ने सोमवार को वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘सबसे पहले तो 3ग्राम प्रति किलोमीटर (909 किलोग्राम से कम वजन वाली कारों के लिए) का यह फायदा बहुत कम है। कैफे-3 में दूसरी श्रेणी (इलेक्ट्रिक गाड़ियां, स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वगैरह) को इतने सारे कारणों से मिलने वाले प्रोत्साहन बहुत ज्यादा हैं। इसलिए वैश्विक मानकों के हिसाब से भी यह बहुत कम फायदा है।