इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया निर्माता लोहिया ऑटो (Lohia Auto) अब लागत नियंत्रण पर ध्यान दे रही है। कंपनी ने केंद्र सरकार द्वारा फेम-2 रियायत घटाने का निर्णय लिए जाने के बाद से स्थानीय तौर पर कलपुर्जे खरीदने पर जोर दिया है। कंपनी ने कलपुर्जों की स्थानीय खरीद का अनुपात मौजूदा 60 से बढ़ाकर अगले दो साल में 70-75 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।
लोहिया ऑटो इंडस्ट्रीज के मुख्य कार्याधिकारी आयुष लोहिया ने कहा कि रियायत लाभ के बाद प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए प्रमुख कदमों में से एक है उत्पाद लागत को नियंत्रित करना। लोहिया ऑटो ने आंतरिक प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाने, परिचालन दक्षता बढ़ाने, और उन क्षेत्रों की पहचान करने की योजना बनाई है जिनमें लागत बचत की जा सके।
लोहिया ने कहा कि निर्माण एवं उत्पादन से संबंधित निर्माण लागत को अनुकूल बनाकर कंपनी ने कीमत प्रतिस्पर्धी बने रहने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए वह गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहेगी।
इसके अलावा, कंपनी ने प्रमुख कलपुर्जों के स्थानीयकरण पर जोर दिया है। लोहिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम स्थानीय तौर पर कलपुर्जे खरीदने की तरफ अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे कि आयात पर निर्भरता घटाई जा सके।’
घरेलू आपूर्तिकर्ताओं के साथ भागीदारी बढ़ाकर, कंपनी लागत घटाना, आपूर्ति श्रृंखला में सुधार लाना, और स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देना चाहती है। मौजूदा समय में, लोहिया ऑटो की स्थानीयकरण दर 60 प्रतिशत है, जिसे अगले दो साल में बढ़ाकर 70-75 प्रतिशत तक किए जाने का लक्ष्य है।
आपूर्तिकर्ताओं के साथ भागीदारी लोहिया ऑटो की लागत नियंत्रण रणनीति का अन्य महत्वपूर्ण प्रयास है। कंपनी ने ऐसे आपसी समाधान निकालने के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई है जिनसे लागत घटाने में मदद मिल सके। सरकार ने फेम-2 योजना के तहत रियायत घटाने का निर्णय लिया है।
(अंजलि सिंह)