टेक-ऑटो

2030 तक दफ्तर आने-जाने की सभी कैब होंगी इलेक्ट्रिक, IT और BPO कंपनियों ने तय किया बड़ा लक्ष्य

2030 तक ऑफिस कैब का 95% हिस्सा इलेक्ट्रिक होगा, IT-BPO कंपनियां तेजी से अपना रही EV, कार्बन फुटप्रिंट घटाने और पर्यावरण के लिए उठाया जा रहा बड़ा कदम।

Published by
सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- June 16, 2025 | 9:59 PM IST

अपने कर्मचारियों को कार्यालय आने-जाने की परिवहन सुविधा देने वाली सूचना प्रौद्योगिकी, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) और नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग (केपीओ) से जुड़ी ज्यादातर वैश्विक और भारतीय कंपनियां साल 2030 तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों का बेड़ा तैयार करना चाहती हैं।

लक्ष्य काफी महत्त्वाकांक्षी है। इसका मतलब यह है कि 9,00,000 से ज्यादा कैब के उन मौजूदा बेड़ों में से 95 फीसदी को बदलना जो कर्मचारियों को घर से दफ्तर लाती और वापस ले जाती हैं। पांच शहरों बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे और दिल्ली-एनसीआर के मामले में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत है, क्योंकि इन शहरों में ईवी की पैठ ज्यादा है।

रूटमैटिक के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) श्रीराम कन्नन, जो बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) क्षेत्र में हैं, ने कहा, कंपनियां 2040 तक 100 फीसदी ईवी चाहती हैं। अभी हमारी 2,500 कैब में से औसतन 10 प्रतिशत ईवी हैं। हमारा अनुमान है कि समग्र उद्योग में ये 5 फीसदी होंगी। कंपनियां हमें हर साल संख्या बढ़ाने का आदेश दे रही हैं, लेकिन चरणों में। हमें लगता है कि हम अगले दो वर्षों में 30 फीसदी तक पहुंच पाएंगे। रूटमैटिक फॉर्चून 500 और भारतीय कंपनियों को सेवाएं मुहैया कराती है।

प्रमुख शहरों में बैक ऑफिस वाली एक बहुराष्ट्रीय कंपनी (एमएनसी) के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के हमारे कार्यक्रम के हिस्से के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारी परिवहन वाले सभी वाहन 2028 तक इलेक्ट्रिक होने चाहिए। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की अनुपलब्धता के कारण हमारे पास 2030 तक की चरणबद्ध योजना है।

सबसे बड़ी चुनौती ईवी को सड़क पर उतारने की व्यवहारिकता की है। श्रीराम ने कहा कि वर्तमान में उनकी कंपनी ड्राइवरों को एक निश्चित मासिक आय का भुगतान करती है, चाहे वे कितनी ही ट्रिप लगाएं। जिन वाहनों के ड्राइवर भी मालिक हैं. उनमें वह ईवी के बजाय आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाहन को प्राथमिकता देगी क्योंकि ईवी महंगी है और इसकी मासिक किस्त दोगुनी हैं। इससे उसकी शुद्ध मासिक आय पर काफी असर पड़ेगा।

इसके अलावा, ड्राइवरों के लिए एक और चिंता ईवी में रेंज की होगी। उन्हें दिन में राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म पर कई ट्रिप लगाने होते हैं। यही कारण है कि रूटमैटिक ने ईवी को पट्टे पर लिया है और उनके लिए अलग से ड्राइवर नियुक्त किए हैं।

ईवी पर लाभ कमाने के लिए उसे हर महीने लगभग 2,400 किलोमीटर चलने की आवश्यकता है। ईवी की ईएमआई दोगुनी होने के अलावा चार्जिंग पॉइंट की कमी की भी एक चुनौती है।

First Published : June 16, 2025 | 9:59 PM IST