अर्थव्यवस्था

$135 अरब से $500 अरब तक! जानिए कैसे भारत बदलने वाला है इंडिया के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का गेम

सरकार की ECMS योजना ने 249 कंपनियों को आकर्षित किया, ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा निवेश और 1.42 लाख नए रोजगार का वादा

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- October 10, 2025 | 12:12 PM IST

भारत सरकार ने अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य देश के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को मजबूत करना और मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम जैसे सेक्टर में निवेश बढ़ाना था। शुरू में आवेदन धीमे चले और सरकार को डेडलाइन एक महीने बढ़ानी पड़ी।

लेकिन जब योजना के लिए आवेदन बंद हुए, तो परिणाम ने सभी को चौंका दिया। कुल 249 कंपनियों ने ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा निवेश का प्रस्ताव दिया, जो योजना के लक्ष्य का दोगुना है। उत्पादन का लक्ष्य भी ₹4.56 लाख करोड़ तक पहुंच गया और लगभग 1,42,000 नए रोजगार पैदा होने का अनुमान है।

योजना की अवधि छह साल की है और यह मार्च 2032 तक चलेगी। सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि इस तरह के रिस्पॉन्स की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने बताया कि उन्हें $7.5 अरब निवेश की उम्मीद थी, लेकिन $14-15 अरब का प्रस्ताव आया। इसका मुख्य कारण उद्योग से लगातार बातचीत और समझौते थे।

योजना का उद्देश्य और महत्व क्या है?

इस योजना का मकसद भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में स्थिति को मजबूत करना और बढ़ाना है। सरकार ने 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को $500 अरब तक पहुंचाने का बड़ा लक्ष्य रखा है। इसमें से 70% ($350 अरब) तैयार उत्पादों जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप और टीवी से आएगा, और 30% ($150 अरब) घटक और उप-असेंबलियों से आएगा।

यह लक्ष्य बहुत बड़ा है, क्योंकि इस समय (FY25) भारत में कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन $135 अरब का है। इसमें से तैयार उत्पादों का हिस्सा 88% है और कंपोनेंट व उप-असेंबलियों का उत्पादन केवल $15 अरब है। इस हिसाब से, भारत को 2030 तक कंपोनेंट और उप-असेंबलियों का उत्पादन लगभग 10 गुना बढ़ाना होगा, तभी यह लक्ष्य पूरा हो सकेगा।

असल में, उप-असेंबली और घटक बनाने के बढ़ते बाजार ने कंपनियों को इस योजना में शामिल होने के लिए आकर्षित किया। इसमें Dixon और Foxconn जैसी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां, Samvardhana Motherson और Uno Minda जैसी ऑटो पार्ट बनाने वाली कंपनियां, और बड़े समूह जैसे Tata भी शामिल हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत 2030 तक पूरा लक्ष्य भी नहीं पूरा कर पाए और सिर्फ $100 अरब का उत्पादन करे, तब भी उत्पादन का मूल्य लगभग 6.6 गुना बढ़ जाएगा।

वर्तमान में भारत में मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और अन्य उपकरणों के लिए कई महत्वपूर्ण कंपोनेंट और सब-असेंबलियां विदेशों से आती हैं। उदाहरण के लिए, भारत में इस्तेमाल होने वाले प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स (PCB) का लगभग 88% आयात किया जाता है। इसी तरह, लिथियम आयन बैटरी, डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल के लिए भी भारी मात्रा में आयात होता है।

योजना के जरिए इन कंपोनेंट का उत्पादन भारत में करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे न केवल आयात कम होंगे, बल्कि लोकल प्रोडक्शन का मूल्य बढ़ेगा। अगर मोबाइल बनाने के लिए जरूरी सारे हिस्से (जैसे बैटरी, कैमरा, स्क्रीन आदि) भारत में ही बनाए जाएं, तो मोबाइल फोन बनाने में भारत को होने वाला लाभ और पैसा बढ़कर 18% से 35-40% हो जाएगा।

योजना का ढांचा और प्रक्रिया

इस योजना को तैयार करना आसान नहीं था। पहले एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गई, जिसने शुरुआती योजना बनाई। इसके बाद करीब 12 महीने में सरकारी अधिकारी, कंपनियों और उद्योग संघों के बीच 100 से ज्यादा बैठकें हुईं। इनमें मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधि शामिल हुए।

सरकार ने भारत और विदेशों में कंपनियों से सीधे बातचीत की। अधिकारियों ने ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया का दौरा किया और भारत में 40-50 फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया। इस तरह, अधिकारियों को रियल उत्पादन और लागत का अनुभव हुआ और उन्हें पता चला कि किन घटकों में निवेश करना महत्वपूर्ण है।

योजना में लचीलापन दिया गया। कंपनियां अब अपने उत्पादन लक्ष्य खुद तय कर सकती हैं और उसी के हिसाब से प्रोत्साहन पाती हैं। इसके अलावा, पूंजीगत निवेश (capex) पर 25% प्रोत्साहन भी दिया गया। इससे छोटी कंपनियों के लिए योजना में शामिल होना आसान हुआ।

मोबाइल उत्पादन और निर्यात पर असर

भारत में मोबाइल उत्पादन का मूल्य FY25 में $65 अरब था, जिसमें से $24 अरब का हिस्सा निर्यात का था। Apple जैसी बड़ी कंपनियां भारत में उत्पादन बढ़ा रही हैं, लेकिन अभी केवल 20% उत्पादन क्षमता भारत में ट्रांसफर हुई है। इसका मतलब है कि भारत में मोबाइल निर्यात बढ़ाने की बहुत संभावना है।

सरकार और उद्योग विशेषज्ञ जानते हैं कि मोबाइल के लिए PLI योजना का ECMS की सफलता में बड़ा योगदान होगा। PLI योजना की मदद से कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा।

First Published : October 10, 2025 | 12:07 PM IST