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कैफे पर एकमत नहीं कार मैन्युफैक्चरर, EV बनाने वाली कंपनियों ने प्रस्तावित मानदंड पर जताई आपत्ति

ईवी विनिर्माताओं ने कहा कि संशोधित मसौदा फ्लेक्स-फ्यूल और मजबूत हाइब्रिड कारों को अनुचित लाभ देता है

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दीपक पटेल   
Last Updated- November 02, 2025 | 11:28 PM IST

प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माताओं ने प्रस्तावित कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता (कैफे) मानदंडों पर वाहन उद्योग में आतंरिक विचार-विमर्श के दौरान गंभीर आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) का संशोधित मसौदा फ्लेक्स-फ्यूल और मजबूत हाइब्रिड कारों को अनुचित लाभ देता है।उनका कहना है कि जब दो प्रौद्योगिकियां एक साथ इस्तेमाल की जाती हैं, तो उन्हें आंकड़ों का फायदा मिलने लगता है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के अनुपालन में फ्लेक्स-फ्यूल और   स्ट्रॉन्ग  हाइब्रिड वाहन भी ईवी के काफी करीब पहुंच जाते हैं।

जून 2021 की नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ईवी विनिर्माताओं का कहना है कि सामान्य पेट्रोल कार को फ्लेक्स-फ्यूल वाहन में बदलने के लिए प्रति कार केवल 17,000 से 25,000 रुपये खर्च होते हैं जबकि ईवी विकसित करने के लिए शोध, बैटरी विकास और स्थानीयकरण में कहीं अधिक निवेश की आवश्यकता होती है।

एक प्रमुख ईवी विनिर्माता के अ​धिकारी ने कहा, ‘स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और फ्लेक्स फ्यूल के लिए कैफे मानदंड के मसौदे में ढील दिए जाने से इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य इंजन वाले वाहनों के बीच अनुपालन का अंतर बहुत कम हो जाता है। इससे पूर्ण-इलेक्ट्रिक तकनीक में ज्यादा पूंजी निवेश को उचित ठहराना मुश्किल होगा।’

यदि ईंधन में पेट्रोल के साथ कम से कम 85 फीसदी एथनॉल हो तो उसे फ्लेक्स फ्यूल कहा जाता है। कैफे मानदंड औसत कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन लक्ष्य निर्धारित करता है जिसका पालन वाहन विनिर्माता के समूचे बेड़े को करना होता है। इसे बेचे गए प्रत्येक वाहन के लिए प्रति किलोमीटर उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड ग्राम में मापी जाती है।

7 जून, 2024 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने कैफे-3 और कैफे-4 मानदंडों का पहला मसौदा प्रकाशित किया था, जिसे अप्रैल 2027 से मार्च 2037 के बीच लागू किया जाएगा। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम ने दिसंबर 2024 में अपनी टिप्पणियां प्रस्तुत कीं जिसमें कुछ बदलाव का अनुरोध किया गया था। कुछ महीने बाद मारुति बीईई के पास गई और वाहनों के वजन के आधार पर छूट के जरिये छोटी कारों के लिए राहत की मांगी।

बीईई ने इस साल 25 सितंबर को एक संशोधित मसौदा जारी किया और इसमें पहली बार वजन के आधार पर छोटी कारों को राहत दी गई। संशोधित मसौदे के तहत 909 किलोग्राम तक पेट्रोल वाहन, जिनकी इंजन क्षमता 1,200 सीसी से कम और लंबाई 4 मीटर से कम है, उसे घोषित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 3 ग्राम/किमी की अतिरिक्त छूट मिलेगी।

वजन के आधार पर छूट को लेकर साल की शुरुआत से ही उद्योग जगत में मतभेद थे। बीईई के संशोधित मसौदे में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों को अतिरिक्त राहत देने के प्रस्ताव ने इस मतभेद को और गहरा कर दिया है। नतीजतन, सायम अभी तक उद्योग के समग्र दृष्टिकोण पर नहीं पहुंच पाया है जिसे बीईई को प्रस्तुत किया जा सके।

मारुति सुजूकी के वरिष्ठ कार्या​धिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने बताया, ‘उद्योग जगत में हम सभी लोग एक ऐसा समाधान निकालने के लिए परस्पर चर्चा कर रहे हैं जो व्यापक, संतुलित, समावेशी और प्रगतिशील हो।’

जानकारी के लिए सायम को ईमेल किया गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

सितंबर के मसौदे के अनुसार छोटी कारें ईंधन-बचत तकनीकों जैसे रीजेनरेटिव ब्रेकिंग, स्टार्ट-स्टॉप सिस्टम, कम रोलिंग-रेजिस्टेंस वाले टायर या बेहतर एरोडायनामिक के इस्तेमाल के लिए रियायत का दावा कर सकती हैं। छोटी कार के लिए कुल कटौती 9 ग्राम/किमी तक सीमित है। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘सभी मानदंडों को पूरा करने वाली छोटी कार इस प्रावधान के तहत पूरे 9 ग्राम का लाभ प्राप्त कर सकती है।’

अब वॉल्यूम डीरोगेशन फैक्टर (वीडीएफ) को देखें, जो गुणक है जिसका उपयोग किसी विनिर्माता के बेड़े के औसत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की गणना में किया जाता है। यह हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे कुछ कम उत्सर्जन वाले वाहनों को एक से अधिक वाहनों के रूप में गिनने की अनुमति देता है, जिससे कागज पर बेड़े के कुल उत्सर्जन में प्रभावी रूप से कमी आती है और अनुपालन आसान हो जाता है।

जून 2024 के मसौदे में बीईई ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वीडीएफ को 3 से बढ़ाकर 4 और मजबूत हाइब्रिड के लिए 2 से घटाकर 1.2 करने का प्रस्ताव रखा गया था। इससे हाइब्रिड वाहनों के लिए नियम कड़े होते और पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों को लाभ मिलता। मगर सितंबर 2025 के मसौदे में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वीडीएफ को 3 और मजबूत हाइब्रिड के लिए 2 रखा गया, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार ने मजबूत हाइब्रिड के लिए अधिक अनुकूल नियम बनाए रखने का फैसला किया है।

इसके अलावा सितंबर के मसौदे में कहा गया है कि यदि मजबूत हाइब्रिड फ्लेक्स फ्यूल पर चलने में सक्षम है तो इसका वीडीएफ 2.5 तक बढ़ जाता है, जिससे इसे और भी अधिक राहत मिलती है। इसके साथ ही बीईई ने कार्बन न्यूट्रैलिटी फैक्टर (सीएनएफ) भी पेश किया है, जो ईंधन के प्रकार के आधार उत्सर्जन में छूट देती है।

First Published : November 2, 2025 | 10:37 PM IST