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FADA को सता रही बिना बिके वाहनों की तादाद; करेगा बैंक, NBFC से बात

गस्त महीने में अनबिके वाहनों का 70 से 75 दिनों का स्टॉक था और इसका मूल्य 77,800 करोड़ रुपये था, जिससे देश भर में डीलरों पर वित्तीय दबाव पैदा हो गया।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- September 09, 2024 | 6:40 AM IST

अनबिके यात्री वाहनों की तादाद चिंताजनक स्तर तक बढ़ जाने पर फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) अब बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से औपचारिक रूप से संपर्क करने की तैयारी में है। वह ऋणदाताओं से अनुराध करेगा कि वे डीलरों को पैसा मुहैया कराते वक्त सावधानी बरतें।

इससे पहले डीलरों के संगठन ने सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सायम) को दो बार पत्र लिखा और बिना बिके वाहनों के बढ़ती तादाद को लेकर चिंता जताई। बैंकों से संपर्क इस लिहाज से खास है क्योंकि एसोसिएशन ने जोर दिया है कि बैंकों और एनबीएफसी की ज्यादा फंडिंग और बिना बिके वाहनों की संख्या बढ़ने से डीलरों के मुनाफे में गिरावट आ सकती है। अगस्त महीने में अनबिके वाहनों का 70 से 75 दिनों का स्टॉक था और इसका मूल्य 77,800 करोड़ रुपये था, जिससे देश भर में डीलरों पर वित्तीय दबाव पैदा हो गया।

फाडा के अध्यक्ष मनीष राज सिंघानिया ने वाहनों की खुदरा बिक्री वाले उद्योग के भीतर वित्तीय सावधानी की जरूरत पर जोर दिया। सिंघानिया ने कहा, ‘हम सभी एनबीएफसी और बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए लिखेंगे कि डीलरों के स्टॉक के स्तर के आधार पर फंडिंग की जाए तथा ज्यादा फंडिंग ने हो, खास तौर पर इसलिए भी कि त्योहारी सीजन नजदीक आ रहा है।’ उन्होंने आग्रह किया कि डीलरों की सहमति के बिना फंडिंग न की जाए, भले ही ओईएम ने अनुरोध किया हो, ताकि और ज्यादा स्टॉक इकट्ठा होने से बचा जा सके। ”

एसोसिएशन ने यह भी बताया कि किस तरह स्टॉक का अधिक स्तर डीलरों के लाभ को कम कर रहा है। डीलर आम तौर पर कम मार्जिन पर काम करते हैं जो औसतन तीन से चार प्रतिशत के बीच होता है। अधिक स्टॉक के लिए अक्सर कर्ज के जरिये रकम का इंतजाम किया जाता है, जिसका बोझ उनकी वित्तीय परेशानियों को ओर बढ़ा रहा है। बिना बिके वाहनों के स्टॉक में हर 10 दिन की बढ़ोतरी का मतलब है ब्याज लागत में वृद्धि जिससे मार्जिन लगभग दो प्रतिशत तक कम हो सकता है। सिंघानिया ने बताया कि अगर हमारे मार्जिन के दो महीने ब्याज चुकाने में चला जाएगा तो डीलरों के लिए यह भारी बोझ बन जाएगा।

आगामी त्योहारी सीजन में हालांकि बिक्री में इजाफे की उम्मीद है लेकिन अगर डीलर बढ़ती मांग की आस में ज्यादा स्टॉक कर लेते हैं, तो बिना बिके वाहनों की समस्या और भी बढ़ सकती है। फाडा को डर है कि अगर त्योहार के बाद स्टॉक का स्तर कम नहीं हुआ तो डीलरों को गंभीर नकदी संकट का सामना करना पड़ सकता है और उन्हें काम बंद करना पड़ सकता है।

फाडा की यह चिंता यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री में गिरावट के कारण है जो अगस्त में पिछले साल की तुलना में 4.53 प्रतिशत तक कम हुई और अगस्त 2023 के 3,23,720 के मुकाबले 3,09,053 वाहन रह गई है। इस गिरावट के लिए सुस्त उपभोक्ता मांग, अत्यधिक बारिश के कारण बिगड़े हालात और पिछले बिना बिके वाहनों की ‘चिंताजनक’ स्थिति को जिम्मेदार ठहराया गया है। पिछले महीने की तुलना में बिक्री में 3.46 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।

अनबिके वाहनों का संख्या बढ़ने की वजह से फाडा ने चेतावनी दी है कि अगर त्योहारी सीजन के बाद इसमें कमी नहीं आती है तो हालात और खराब हो सकते हैं क्योंकि डीलरों को साल के आखिर में सेल के दबाव और अतिरिक्त छूट देनी पड़ती है। इससे पहले से ही कम लाभ मार्जिन पर और दबाव बन सकता है जिससे देश भर में डीलरशिप की वित्तीय व्यावहारिकता खतरे में पड़ सकती है।

First Published : September 9, 2024 | 6:40 AM IST