केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि यदि टेस्ला भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए प्रतिबद्धता दिखाती है तो सरकार उसे ऐसा प्रोत्साहन देने के लिए तैयार है जिससे उसकी उत्पादन लागत चीन के मुकाबले कम रहे।
गडकरी ने यह बात ऐसे समय में कही है जब कुछ ही सप्ताह पहले अरबपति कारोबारी एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने भारत में एक कंपनी को पंजीकृत कराते हुए भारतीय बाजार में उतरने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। कंपनी संभवत: 2021 के मध्य तक भारतीय बाजार में दस्तक देगी। इस मामले से अवगत सूत्रों ने कहा कि टेस्ला की योजना भारत में अपने मॉडल 3 इलेक्ट्रिक सिडैन का आयात करने और बिक्री शुरू करने की है।
गडकरी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘भारत में कारों की असेंबलिंग के बजाय उन्हें स्थानीय वेंडरों को काम पर रखते हुए पूरे उत्पाद बनाने चाहिए। तब हम कहीं अधिक रियायत दे सकते हैं।’ हालांकि उन्होंने विस्तृत खुलासा नहीं किया कि प्रोत्साहन पेशकश किस प्रकार की होगी। उन्होंने कहा, ‘टेस्ला जब भारत में अपनी कारों का विनिर्माण शुरू करेगी तो सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी उत्पादन लागत दुनिया के अन्य देशों और यहां तक कि चीन के मुकाबले सबसे कम रहे। इसके लिए हम उन्हें आवश्वस्त करेंगे।’
भारत अपने प्रमुख शहरों में प्रदूषण को नियंत्रित करने और महंगे आयात पर अंकुश लगाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), बैटरी एवं अन्य कलपुर्जों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहता है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए विभिन्न देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में कार बनाने वाली कंपनियां भी तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन की तैयारी कर रही हैं। लेकिन भारत को टेस्ला से इलेक्ट्रिक कारों के उत्पादन के लिए प्रतिबद्धता हासिल करने के लिए एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय बाजार के लिए टेस्ला की योजना के बारे में ई-मेल के जरिये पूछे जाने पर कंपनी ने तत्काल कोई जवाब नहीं दिया।
पिछले साल देश में कुल बेची गई 24 लाख कारों में से देश के उभरते ईवी बाजार का योगदान केवल 5,000 रहा है, क्योंकि नाममात्र की चार्जिंग अवसंरचना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के अधिक दामों की वजह से खरीदार हतोत्साहित रहे। इसके विपरीत चीन ने, जहां टेस्ला पहले से ही कार निर्माण कर रही है, वर्ष 2020 में दो करोड़ वाहनों की कुल बिक्री में से ईवी समेत 12.5 लाख नए ऊर्जा यात्री वाहनों की बिक्री की थी और टेस्ला की वैश्विक बिक्री में इसका योगदान एक-तिहाई से अधिक रहा।
भारत में दुनिया के सबसे बड़े वाहन बाजार चीन जैसी व्यापक ईवी नीति भी नहीं है, जो कंपनियों का इस क्षेत्र में निवेश जरूरी करता है। गडकरी ने कहा कि एक बड़ा बाजार होने के साथ-साथ भारत निर्यात केंद्र भी हो सकता है, खास तौर पर लिथियम आयन बैटरी के तकरीबन 80 प्रतिशत हिस्से अब स्थानीय स्तर पर बनाए जाने की वजह से। गडकरी ने कहा कि मुझे लगता है कि यह टेस्ला के लिए जीत की स्थिति है। वह दिल्ली और मुंबई के बीच अति तीव्र-गति वाले हाईपरलूप निर्माण को लेकर भी टेस्ला के साथ जुडऩा चाहते हैं।
भारत वाहन और वाहन पूर्जों के विनिर्माताओं के साथ-साथ उन्न बैटरी विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए एक उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना की रूपरेखा तैयार कर रहा है, लेकिन इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों की ओर रुख करने और वाहन प्रदूषण को कम करने को भारत के लिए उसके पेरिस समझौते की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के वास्ते जरूरी समझा जाता है।
पिछले साल भारत ने कार विनिर्माताओं के लिए कड़े उत्सर्जन नियम पेश किए थे ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों तक लाया जा सके। अब वह अप्रैल 2022 से ईंधन दक्षता नियमों को कड़ा करने पर विचार कर रहा है जिसके बारे में उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि इससे कुछ वाहन निर्माताओं को अपने पोर्टफोलियो में इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड वाहनों शामिल करने के लिए विवश होना पड़ सकता है। वैश्विक महामारी कोविड-19 से पीडि़त उद्योग का कहना है कि उसे इस बदलाव के लिए अधिक समय की जरूरत है।