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IPL ने बदली क्रिकेट की तस्वीर! भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों के लिए सीखने-सिखाने का बेहतरीन मंच

शनिवार को आईपीएल के 18वें सत्र की शुरुआत हो रही है। पहले मैच में कोलकाता के ईडन गार्डन में कोलकाता नाइट राइडर्स का मुकाबला रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु से होगा।

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विशाल मेनन   
Last Updated- March 21, 2025 | 11:33 PM IST

जब ललित मोदी वर्ष2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)  की बिसात बिछाने में लगे थे तो उस वक्त तक ऑस्ट्रेलिया के फिरकी गेंदबाज शेन वॉर्न का जलवा कमजोर पड़ चुका था और  बल्लेबाजों में उनका खौफ भी कम हो गया था। भारत में टी20 क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत को लेकर वह बहुत अधिक उत्साहित नहीं दिख रहे थे। फिर उन्हें एक फोन कॉल गई जिसके बाद वॉर्न में नई जान आ गई।

आईपीएल के इस शुरुआती सत्र के लिए राजस्थान रॉयल्स (आरआर)  ने खेल एवं संस्कृति कंपनी आईएमजी के पूर्व अधिकारी रवि कृष्णन को नियुक्त किया था। कृष्णन ने वॉर्न को राजस्थान रॉयल्स का कप्तान बनाए जाने की सलाह दी। कृष्णन मेलबर्न में वॉर्न के साथ ग्रेड स्तरीय क्रिकेट खेल चुके थे, इसलिए वह उनकी फिरकी गेंदबाजी के जादू से पूरी तरह वाकिफ थे। उन्होंने वॉर्न को फोन लगाया और कहा, ‘अब आपके पास यह साबित करने का अवसर है कि ऑस्ट्रेलिया में आप जैसा कप्तान पहले कभी नहीं हुआ था। आप आइए और राजस्थान रॉयल्स की कमान संभालिए और खिताब जीतिये।’ 

कृष्णन के शब्द सुनकर वॉर्न उत्साह से लबरेज हो गए। उस समय 38 वर्ष के वॉर्न राजस्थान रॉयल्स के सिर आईपीएल का पहले खिताब का सेहरा बांधने के लिए दोबारा मैदान पर लौट आए।

शनिवार को आईपीएल के 18वें सत्र की शुरुआत हो रही है। इस सत्र के पहले मैच में कोलकाता के ईडन गार्डन में पिछले साल की विजेता टीम कोलकाता नाइट राइडर्स का मुकाबला रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु से होगा। पिछले 18 वर्षों में आईपीएल का जलवा और आकार दोनों ही बुलंदियों पर पहुंच गए हैं। इस टूर्नामेंट का यह रुतबा रहा है कि कोविड महामारी की मार या फिर लोक सभा चुनाव की बयार भी इसकी रफ्तार को रोक या प्रभावित नहीं कर पाई है।

आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 12 अरब डॉलर से अधिक हो गई है और दुनिया में होने वाले बड़े खेल आयोजनों का यह सिरमौर बन गया है। आईपीएल को धार देने और लोकप्रिय बनाने में वॉर्न, गिलक्रिस्ट, एबी डी विलियर्स और क्रिस गेल जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी का अहम योगदान रहा है। उनकी विशेषज्ञता एवं अनुभवों से सीखकर भारतीय क्रिकेट टीम में नए प्रतिभाशाली खिलाड़ी दुनिया में झंडे गाड़ रहे हैं। फ्यूचरब्रांड्स इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी संतोष देसाई ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि अगर आप दुनिया में किसी टूर्नामेंट की विशेष पहचान स्थापित करना चाहते हैं तो आपको खिलाड़ी भी उम्दा तलाशने ही होंगे। देसाई ने कहा, ‘वॉर्न और डी विलियर्स क्रिकेट के बेजोड़ खिलाड़ी रहे हैं। आईपीएल के आने के बाद इस टूर्नामेंट का रंग ही बदल गया। ऐसा लगा जैसे विश्व की क्रिकेट प्रतिभाएं एक जगह जमा हो गई हैं।‘

सीखने-सिखाने का बेजोड़ मंच

वॉर्न ने पूरे पेशेवर अंदाज में और संजीदगी के साथ राजस्थान रॉयल्स का नेतृत्व किया। उन्होंने रवींद्र जडेजा जैसे युवा खिलाड़ियों को उम्दा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। वॉर्न से क्रिकेट की महीन बातें सीख कर सौराष्ट्र के इस ऑल राउंडर खिलाड़ी का करियर चमक गया। वॉर्न ने अपनी आत्मकथा नो स्पिन में कहा, ‘जब भी मैं और जडेजा एक दूसरे से मिलते हैं तो वह मुझे सर कह कर संबोधित करते हैं। मैं तो उन्हें यही कहता हूं कि उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की है उनमें मेरा योगदान महज 10 प्रतिशत रहा है।‘ श्रीलंका के लसिथ मलिंगा से जसप्रीत बुमराह को काफी कुछ सीखने को मिला है। इसी तरह, हार्दिक पंड्या ने किरोन पोलार्ड से काफी कुछ सीखा है। जाने-माने खेल पत्रकार अयाज मेमन कहते हैं, ‘आईपीएल एक ऐसा टूर्नामेंट बन गया है जिसमें सभी खिलाड़ी एक दूसरे की खूबियों से सीखते रहते हैं। युवा भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों को दुनिया के बेहरीन खिलाड़ियों से काफी कुछ सीखने को मिलता है।‘ विदेशी खिलाड़ी भी विराट कोहली जैसे भारतीय खिलाड़ियों से सीखते हैं कि प्रतिकूल हालात में भी बाजी कैसे पलटी जाती है और तमाम मुश्किलों के बाद पुरानी रंगत कैसे हासिल की जाती है।

आईपीएल की एक और खास बात यह रही है इसमें खिलाड़ियों के बीच पुरानी दुश्मनी या तनातनी भी खत्म हुई है। ऑस्ट्रेलिया के दिवंगत क्रिकेट खिलाड़ी एंड्र् यू साइमंड्स और हरभजन सिंह के बीच बहस किसे याद नहीं होगा मगर बाद में उनके बीच यह दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। आईपीएल में अब अधिक विदेशी खिलाड़ी खेलने लगे हैं। इससे वे भारत में माहौल और क्रिकेट प्रेमियों के मिजाज को अधिक बेहतर तरीके से समझने लगे हैं। यानी भारत अब खेलने के लिए उनके लिए नई जगह नहीं रह गई है।

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एवं कोच राहुल द्रविड़ कहते है, अपने घर में खेलने का फायदा पहले जरूर मिलता था मगर पिछले 10-12  वर्षों के दौरान हालात बदल गए हैं। इसका कारण यह है कि बड़ी संख्या में विदेशी खिलाड़ी यहां खेलने के लिए आ रहे हैं। कुल मिलाकर आईपीएल भारतीय एवं विदेशी खिलाड़ियों का एक ऐसा जमघट हैं जहां सभी एक दूसरे से सीखते रहते हैं। 

First Published : March 21, 2025 | 10:50 PM IST