प्रमुख वाहन कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4,441 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध घाटा हुआ। तिमाही के दौरान सेमीकंडक्टर की किल्लत और अधिक इनपुट लागत से वित्तीय प्रदर्शन प्रभावित हुआ। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी ने 314 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उसे 4,451 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था।
तिमाही के दौरान कंपनी का परिचालन राजस्व 14 फीसदी बढ़कर 61,378 करोड़ रुपये हो गया जो एक साल पहले की समान तिमाही में 53,530 करोड़ रुपये रहा था। कंपनी ने कहा कि जेएलआर और भारतीय यात्री वाहनों के लिए जबरदस्त मांग बरकरार है जबकि वाणिज्यिक वाहनों की मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। सेमीकंडक्टर किल्लत और जिंस कीमतों में तेजी का प्रभाव निकट भविष्य में भी बरकरार रहने की आशंका है। कंपनी ने कहा, ‘दूसरी छमाही के दौरान प्रदर्शन में धीरे-धीरे सुधार होने की उम्मीद है क्योंकि आपूर्ति शृंखला और वैश्विक महामारी में सुधार हो रहा है।’
टाटा मोटर्स ने कहा कि वाहनों के लिए प्रतीक्षा अवधि छह से सात सप्ताह है जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए यह छह महीने चल रही है। चालू वित्त वर्ष के लिए पूंजीगत खर्च 3,500 करोड़ रुपये रहेगा। कंपनी की मौजूदा वैश्विक ऑर्डर बुकिंग 1,25,000 वाहनों की है। चिप किल्लत के कारण जेएलआर की खुदरा बिक्री तिमाही के दौरान 18.4 फीसदी घट गई। हालांकि राजस्व 14.7 फीसदी बढ़कर 613.79 अरब रुपये हो गया।
तिमाही के दौरान वाणिज्यिक वाहन कारोबार में खुदरा बिक्री की समस्याएं बरकरार रहीं जबकि बड़े बेड़ा ऑपरेटरों को आसान वित्त पोषण की सुविधा मिली। तिमाही के दौरान कंपनी के ईवी कारोबार में करीब तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई और 1,078 वाहनों की सर्वाधिक मासिक एवं 2,704 करोड़ रुपये की सर्वाधिक तिमाही बिक्री दर्ज की।