वाहन कंपनियों के जख्मों पर अब बैंक भी मरहम लगा रहे हैं। सरकार ने उन्हें राहत पैकेज दिया थ और अब सरकारी बैंक उनके लिए कर्ज आसान कर रहे हैं।
भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नैशनल बैंक समेत 6 सरकारी बैंकों ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए फंड को बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये कर दिया है।
बैंक यह फंड इसलिए मुहैया करा रहे हैं, ताकि वित्तीय कंपनियां वाणिज्यिक गाड़ियों के लिए लोगों को कर्ज मुहैया करा सकें और इस तरह गाड़ियों की बिक्री को थोड़ी रफ्तार मिल सके, जिसमें अक्टूबर के बाद से ही तेज गिरावट आई है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘बैंक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को यह फंड उपलब्ध करा रही हैं ताकि वे गाड़ियों के लिए लोगों को कर्ज उपलब्ध करा सकें।’
2 जनवरी को दूसरी वित्तीय पैकेज की घोषणा के समय ही इस बारे में फैसला लिया गया था, पर वित्त मंत्रालय ने 6 बैंकों के प्रतिनिधियों और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर इसे आखिरी शक्ल जनवरी महीने के आखिर में दिया। इस सुविधा का फायदा फिलहाल केवल बड़ी और बेहतर साख वाली वित्तीय कंपनियां ही उठा सकेंगी।
हालांकि अधिकारियों ने बताया कि वित्त सचिव अरुण रामानाथन ने सोमवार को छोटी वित्तीय कंपनियों को 1,000 करोड़ रुपये की सहायता उपलबध कराने के लिए चुनिंदा बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
इस फंड का लाभ उठाकर वित्तीय कंपनियां अगले 4 से 5 महीनों के लिए अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकेंगी और वाणिज्यिक गाड़ियों के उद्योग को संकट से उबार सकेंगी। दरअसल पिछले कुछ महीनों में परिवहन क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण में खासी कमी आई है। 7 नवंबर, 2008 से 16 जनवरी, 2009 के बीच इस ऋण में 5.5 फीसदी की कमी आई है।